एशिया-प्रशांत क्षेत्र में विकास को गति देगा भारत : आईएमएफ
India will accelerate development in Asia-Pacific region: IMF
नई दिल्ली:। एशिया-प्रशांत के लिए आईएमएफ के नवीनतम क्षेत्रीय आर्थिक परिदृश्य के अनुसार, भारत निवेश और निजी खपत के साथ दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बना हुआ है।आईएमएफ ने 2 अक्टूबर को जारी अपनी विश्व आर्थिक परिदृश्य रिपोर्ट में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि के पूर्वानुमान को वित्त वर्ष 2025 और वित्त वर्ष 2026 के लिए क्रमशः 7 प्रतिशत और 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा है।क्षेत्रीय आर्थिक परिदृश्य रिपोर्ट में कहा गया है कि 2024 और 2025 में एशिया में वृद्धि धीमी होने की उम्मीद है जो कि महामारी से उबरने को लेकर समर्थन न मिलने और बढ़ती उम्र जैसे कारकों को दर्शाता है। इसके अलावा, अप्रैल में अल्पकालिक संभावनाएं उम्मीद से बेहतर थीं।आईएमएफ ने कहा कि 2024 में एशिया प्रशांत क्षेत्र के लिए वृद्धि दर को 0.1 प्रतिशत अंक बढ़ाकर 4.6 प्रतिशत कर दिया गया है, जो मुख्य रूप से वर्ष की शुरुआत में मजबूत प्रदर्शन को दर्शाता है। इसके साथ एशिया और प्रशांत क्षेत्र से इस वर्ष वैश्विक वृद्धि में लगभग 60 प्रतिशत योगदान मिलने की उम्मीद है।हालांकि, रिपोर्ट में कहा गया है कि “परिदृश्य बड़े पैमाने पर आर्थिक और भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं पर भी निर्भर करता है।”,आईएमएफ द्वारा क्षेत्रीय परिदृश्य रिपोर्ट के साथ जारी एक ब्लॉग पोस्ट में कहा गया है कि विनिर्माण क्षेत्र एशिया में विकास को गति दे रहा है लेकिन आधुनिक व्यापार योग्य सेवाएं विकास और उत्पादकता का एक नया स्रोत हो सकती हैं।इसमें कहा गया है कि सेवाओं के विकास ने क्षेत्र के लगभग आधे श्रमिकों को पहले ही इस सेक्टर में ला दिया है जबकि 1990 में यह संख्या मात्र 22 प्रतिशत थी, क्योंकि करोड़ों लोग खेतों और कारखानों से चले गए थे।ब्लॉग पोस्ट में कहा गया है, “अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मॉर्डन सर्विस जैसे फाइनेंस, इनफार्मेशन, कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी और बिजनेस आउट सोर्सिंग में विस्तार से यह बदलाव और तेज होने की संभावना है, जैसा कि भारत और फिलीपींस में पहले ही हो चुका है।”,2025 में अधिक अनुकूल मौद्रिक स्थितियों से गतिविधि को समर्थन मिलने की उम्मीद है, जिसके परिणामस्वरूप अप्रैल में 4.3 प्रतिशत से 4.4 प्रतिशत की मामूली वृद्धि होगी।क्षेत्र के अधिकांश हिस्सों में मुद्रास्फीति कम हो गई है। साथ ही, जोखिम भी बढ़ गए हैं, जो बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव, वैश्विक मांग की ताकत को लेकर अनिश्चितता और वित्तीय अस्थिरता की संभावना को दर्शाते हैं।रिपोर्ट में कहा गया है कि जनसांख्यिकीय परिवर्तन तेजी से गतिविधि पर ब्रेक लगाएगा, हालांकि व्यापार योग्य सेवाओं जैसे उच्च उत्पादकता वाले क्षेत्रों में संरचनात्मक बदलाव मजबूत विकास को बनाए रखेगा।