Azamgarh :नहाय-खाय के साथ शुरू हुवा सूर्यषष्ठी व्रत का चार दिवसीय अनुष्ठान, जोरों पर है तैयारी
नहाय-खाय के साथ शुरू हुवा सूर्यषष्ठी व्रत का चार दिवसीय अनुष्ठान, जोरों पर है तैयारी
रिपोर्टर चन्द्रेश यादव
अतरौलिया।। बता दे कि लोक आस्था का महापर्व सूर्यषष्ठी (छठ) व्रत का चार दिवसीय अनुष्ठान 5 नवंबर मंगलवार को नहाय-खाय के साथ प्रारंभ हो गया । छठ व्रती 6 नवंबर बुधवार को खरना एवं 7 नवंबर गुरुवार को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देंगी तत्पश्चात 8 नवंबर शुक्रवार को उदयगामी सूर्य को अर्घ्य देने के साथ इस चार दिवसीय अनुष्ठान का विधिवत समापन हो जाएगा। इसको लेकर नगर पंचायत के पूरब पोखरे व पश्चिमी पोखरे पर नगर प्रशासन द्वारा साफ सफाई का काम जोरों पर चल रहा है, साथ ही साथ प्रशासनिक अधिकारी भी घाटों का निरीक्षण कर रहे हैं। डाला छठ का त्यौहार शांतिपूर्ण ढंग संपन्न कराने के लिए नगर पंचायत प्रशासन और पुलिस प्रशसन विद्युत कर्मचारियों ने सभी घाटों का निरीक्षण करते हुए दिखाई दे रहे है। नगर के पूरब पोखरे व पश्चिम पोखरे पर नगरवासियों और गांववासी गनपतपुर, रामपुर, मिश्रौलिया, लाहनपट्टी, गोरहरपुर, हैदरपुर, खपुरा,भोराजपुर, मीरपुर, चनैता, पुरवा, देहुला,चिश्ती पुर,परमेश्वर पुर गांव के व्रती आते है तो वही व्रती लोगो के साथ परिवार के लोग आते है,घाटों की साफ सफाई नगर पंचायत द्वारा कराया जा रहा तो वही पुलिस प्रशासन घाटों का निरीक्षण कर रहा है।
सुरक्षा के लिए समीक्षा हो रही है कि घाटों पर रास्तो पर कितनी फोर्स रखी जाए तो वही विद्युत अभियन्ता विद्युत आपूर्ति सुचारू रूप से मिले तार खम्भो सहित ट्रांसफार्मर आदि का निरीक्षण कर त्रुटि को सही कराने में लगे है। सब मिलाकर डाला छठ पर्व को शकुशल सम्पन्न कराने के लिए प्रशासन जी जान से लग गया है। नगर पंचायत समेत प्रमुख घाटों को दुल्हन की तरह सजाया जा रहा है वही छठ व्रत को लेकर डीजीपी द्वारा नई गाइडलाइन भी जारी की गई जिसे लेकर पुलिस प्रशासन भी काफी चौकन्ना है। नगर के प्रमुख घाटों पर साफ सफाई ,विद्युत व्यवस्था, गोताखोर की व्यवस्था, चूना ब्लीचिंग का छिड़काव के साथ ही घाटों पर बेदी बनाने का कार्य जोरो पर चल रहा है।
छठ पूजा में ईंख, अदरख, मूली, हल्दी, सुथनी, अरवी, नीम्बू, बोड़ी, नारियल, सिंघाड़ा, केला, साठी चावल, गुड़, पान, लौंग, इलायची, सुपारी आदि औषधियों एवं विभिन्न प्रकार के ऋतुफलों का उपयोग भी अर्घ्य के रूप में किया जाता है। अतः इस व्रत का औषधियों के संबर्द्धन व संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान है।