मध्य प्रदेश उपचुनाव में नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर

Leaders' reputation at stake in Madhya Pradesh by-elections

भोपाल: मध्य प्रदेश में दो विधानसभा क्षेत्र में हो रहे उपचुनाव से यहां के दिग्गज नेताओं की प्रतिष्ठा जुड़ी हुई है। इसकी वजह भी है क्योंकि इन कद्दावर नेताओं का प्रभाव विधानसभा क्षेत्र पर वर्षों से है।राज्य के सीहोर जिले के बुधनी और श्योपुर के विजयपुर में उपचुनाव हो रहा है। बुधनी में भाजपा के रमाकांत भार्गव का मुकाबला कांग्रेस के राजकुमार पटेल से है तो वहीं विजयपुर में भाजपा के रामनिवास रावत के सामने कांग्रेस के मुकेश मेहरोत्रा है। इन दोनों विधानसभा क्षेत्रों में बुधवार 13 नवंबर को मतदान होने वाला है। बीते साल हुए विधानसभा चुनाव में बुधनी से वर्तमान में केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान निर्वाचित हुए थे जो अब विदिशा से सांसद हैं। इसी तरह भाजपा के मुरैना से सांसद रहे नरेंद्र सिंह तोमर अब विधायक हैं।विदिशा संसदीय क्षेत्र को केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान का प्रभाव वाला क्षेत्र माना जाता है। वह बुधनी विधानसभा क्षेत्र और विदिशा संसदीय क्षेत्र का कई बार प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। बुधनी से चौहान के इस्तीफा देने के कारण ही उपचुनाव हो रहा है। भाजपा उम्मीदवार रमाकांत भार्गव के चुनाव प्रचार की कमान पूरी तरह शिवराज सिंह चौहान के पुत्र कार्तिकेय सिंह चौहान संभाले रहे। वहीं केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी इस क्षेत्र में आकर भाजपा उम्मीदवार के समर्थन में जनसभाएं की, रोड शो किए और बैठकें तक की।इसी तरह विजयपुर विधानसभा क्षेत्र में विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर ने पूरा जोर लगाया। तोमर पूर्व में मुरैना से सांसद रहे हैं और मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री भी। तोमर अब इसी इलाके से विधायक हैं और चुनाव प्रचार में उन्होंने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है। ग्वालियर चंबल इलाके को ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रभाव का क्षेत्र भी माना जाता है मगर उन्होंने उपचुनाव में ज्यादा सक्रियता नहीं दिखाई।राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि उपचुनाव सत्ताधारी दल के लिए ज्यादा आसान होते हैं मगर जातीय गणित के चलते बुधनी और विजयपुर दोनों ही स्थान पर चुनाव रोचक है। यह क्षेत्र भाजपा के प्रभावशाली नेताओं के प्रभाव वाले क्षेत्र हैं लिहाजा उनकी प्रतिष्ठा भी इससे जुड़ी हुई है। यही कारण है कि बुधनी में शिवराज सिंह चौहान और विजयपुर में नरेंद्र सिंह तोमर की ओर से प्रचार को धारदार बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई है।

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