रेलवे द्वारा मुआवजा न मिलने से परेशान परिवार

हिंद एकता टाइम्स भिवंडी

रवि तिवारी

भिवंडी – भिवंडी पींपलास ग्राम पंचायत के अंतर्गत डोगराली गांव के रहने वाले गरीब किसान परिवार वसई-दिवा रेलवे लाइन के डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर प्रोजेक्ट के तहत तीसरी और चौथी लाइन के निर्माण के लिए अधिग्रहित की गई जमीन पर पिछले २५ वर्षों से रह रहे एक किसान का घर तोड़ने के बाद लगभग दो साल बीत जाने के बावजूद अभी तक प्रभावित परिवार को मुआवजा नहीं मिलने से दर-दर भटकने के लिये मजबूर होना पड़ रहा है।भिवंडी डोंगराली के पिंपलास ग्राम पंचायत के अंतर्गत आने वाली वन विभाग की जमीन पर दिवंगत द्वारकानाथ गायकवाड़ अपने परिवार के साथ २५ वर्षों से मवेशियों (पालतू जानवरों ) के रहकर अपना गुजर बसर कर रहे थे। १९७२ में रेलवे प्रशासन के नाम स्थानांतरित कर दिया गया था। डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर रेलवे लाइन के काम के दौरान गायकवाड़ का घर को जमिंदोज कर दिया गया। लेकिन इस नुकसान का मुआवजा अभी तक रेलवे प्रशासन प्रभावित परिवार को नहीं दिया। उसके बाद द्वारकानाथ गायकवाड़ का निधन हो गया। उनके निधन के बाद उनकी पत्नी और बेटा जयराम गायकवाड़ खुले आसमान के नीचे अपना जीवन बिताने को मजबूर हैं।जयराम गायकवाड़ ने बताया कि उन्होंने तहसीलदार, उपविभागीय अधिकारी, स्थानीय पुलिस और रेलवे प्रशासन से कई बार मुआवजे के लिए आवेदन किया। रेलवे पुनर्वास विभाग ने उन्हें १४ लाख १७ हजार रुपये मुआवजा स्वीकृत किए जाने की बात कही है। लेकिन यह राशि अभी तक उनके हाथों में नहीं दी गई है। जयराम गायकवाड़ का कहना है कि उनके साथ हो रहे अन्याय को प्रशासन नजरअंदाज कर रहा है। उन्होंने मांग की है कि जल्द से जल्द उनके परिवार को न्याय और मुआवजा दिया जाए ताकि वे अपना जीवन सामान्य तरीके से जी सकें।

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