शारदीय नवरात्र प्रारंभ,प्रथम दिन मां शैलपुत्री की पूजा
दुर्गा प्रतिमाओं को स्थापित करने के लिए ट्रैक्टर ट्रालियों से देवी प्रतिमाओं को ले जा रहे हैं पूजा कमेटी के सदस्य
रिपोर्ट: चंदन शर्मा
रानी की सराय/आजमगढ़:स्थानीय कस्बे में लगभग एक दर्जन से अधिक बंगाल के कार्य कारीगरो एवं स्थानीय कारीगरों द्वारा देवी प्रतिमाओं का निर्माण किया जाता है वही नवरात्र की प्रथम से कहीं-कही दुर्गा प्रतिमा की स्थापना हो जाती है वहीं अधिकांश शहरों में दशहरे के दिन ही मिला होता है जिससे नवरात्रि के प्रथम दिन से ही देवी प्रतिमाओं पर स्थापित कर पूजन अर्चना शुरू कर दिया जाता है। वही रानी की सराय बाजार में निर्मित मूर्तियों का को नवरात्र के प्रथम दिन स्थापित करने के लिए शनिवार को सुबह से ही पूजा कमेटी के सदस्य प्रतिमाओं को ट्रैक्टर-ट्रॉली पर सुबह से ही ले जाने लगे है कुछ डीजे के धुन पर तो कुछ युवा गुलाल अबीर उड़ते हुए माता की जयकार लगाते हुए प्रतिमाओं को अपने गंतव्य तक ले जा रहे हैं।बता दे की रानी की सराय में काफी समय से ही बंगाल के कारीगरो एवं स्थानीय कारीगरों द्वारा मूर्ति का निर्माण किया जाता है बंगाल के कारीगर साल भर में लगभग 8 महीने रह करके अपने-अपने कारखानों में दिन रात काम करके मूर्तियों का निर्माण करते हैं जैसे दशहरे पर दुर्गा भवानी ,दीपावली पर गणेश लक्ष्मी सरस्वती की प्रतिमा ,विश्वकर्मा पूजा पर भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा आदि बनाते हैं लगभग हिंदू प्रमुख पर्व पर देवी देवताओं की प्रतिमाएं बनाई जाती है,
दामो में हुई बढ़ोतरी
रानी की सराय में बनने वाली देवी प्रतिमाओं पर खर्च ज्यादा हो रहा है जिससे प्रतिमाओं की कीमत भी बढ़ गई है जैसे कच्चा रंग, मूर्तियों में लगने वाले पुवाल भी अधिक दाम पर मिल रहे हैं वहीं जहां बांस की कीमत₹100 होती थी जिसकी अब कीमत 200 से 300 रुपए हो गई है वही मूर्तियों को बनाने में जो सामाग्री कपड़ा, औजार आदि का उपयोग होता है उसकी भी कीमत बढ़ गई है। मूर्ति कलाकारों की माने तो प्रतिमाओं को बनाने में लागत ज्यादा हो रहा है बचत कम हो रही है कस्बे में बीपाल अजीत पाल मनोहर आदि के कारखाने हैं जो साल भर में लगभग 8 महीने रह करके काम करते हैं,
रानी की सराय मूर्तियां अन्य जनपदों को भी जाती हैं,
रानी की सराय कस्बे में बनने वाली मूर्तियां आजमगढ़ जनपद के बाजरो लालगंज गोसाई बाजार,आदि को जाती है एवं अन्य जनपदों जैसे गाजीपुर मऊ को भी जाती हैं रानी की सराय कस्बे में बनने वाली मूर्तियां काफी प्रसिद्ध है। ऐसा नहीं है कि जनपद में रानी की सराय में ही मूर्तियों का निर्माण होता है लेकिन रानी की सराय कस्बे की मूर्तियां काफी अच्छी होती है।
रेडीमेड पंडाल बनाये जा रहे है
रानी की सराय
दशहरे मेले में कुछ वर्ष पूर्व बांस की पंडालों लगभग लगभग हर पूजा कमेटी द्वारा बनवाया जाता था लेकिन अब कहीं-कहीं बड़े शहरों में नाम मात्र बांस के पंडाल बनाए जाते हैं ।कारण यह है कि आसानी से बांस नहीं मिल पा रहे हैं वही मिल भी रहे हैं तो अधिक दामों पर उससे कम दामों पर रेडीमेड टेंट के पंडाल बन जा रहे हैं पूजा कमेटी के संरक्षक प्रदीप वर्मा ने बताया कि पहले हम कमेटी के सभी सदस्य एक महीने पहले से ही दुर्गा पूजा की तैयारी करते थे बांस ,रस्सी ,लकड़ी आदि की व्यवस्था किया जाता था और लगभग एक महीने से बंगाल के कारीगरों द्वारा पंडालों को और मूर्तियों को बनवाया जाता था।