तपस्या के बल पर पुत्र के रूप में प्राप्त किया भगवान को

 

पंडित विनय मिश्र

बरहज, देवरिया।

सरयू तट बरहज में श्री राम कथा के के दूसरे दिवस पर आश्रम से पधारे पंडित विनय मिश्रा ने कहा कि भगवान की कथा जीवन में जीव को धर्म अर्थ और काम मोक्ष चारों को प्राप्त कर देता है उन्होंने कहा कि महाराज मनु मनु एवं शतरूपा ने कठिन तपस्या करके भगवान को अपना पुत्र बना लिया वरदान युगों युगों तक फल देता है पूर्व जन्म में चौथे पन में मनु सतरूपा ने तपस्या की थी ह, इसीलिए भगवान अगले जन्म में दशरथ कौशल्या के रूप में जब महाराज मनु एवं शतरूपा ने जन्म लिया तो पूर्व जन्म के तपस्या के अनुसार भगवान चक्रवर्ती महाराज दशरथ एवं कौशल्या की गोद में पुत्र बनकर आए गोस्वामी तुलसीदास जी के अनुसार एक बार भूपति मन माही। भई गलानि मोर सुत नहीं।। तीन पन महाराज दशरथ का भी चुका था तीनों रानियां से एक भी संतान नहीं पैदा हुए दशरथ जी के मन में बड़ा कष्ट हुआ और अपने गुरु वशिष्ठ जी के वहां जाकर पुत्र प्राप्ति का उपाय पूछने लगे जिस पर गुरु वशिष्ठ ने कहा कि आप पुत्र प्राप्ति के लिए यज्ञ करवाए, जिससे आपको एक नहीं चार-चार पुत्र पैदा होंगे यज्ञ के माध्यम से भगवान अपने अंश सहित चार पुत्रों के रूप में अवतरित हुए अयोध्या में चारों तरफ खुशी की लहर छा गई कथा के दौरान कथा के संयोजक सुधाकर मणि, त्रिपाठी, कथा व्यास हरि ओम शरण जी महाराज, विद्याभूषण जी महाराज, अंगद प्रसाद द्विवेदी, अरविंद मिश्रा सहित अन्य श्रद्धालु जन उपस्थित रहे कथा का संचालन श्री गणेश मिश्र ने किया।

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