श्रम दिवस पर मज़दूरों को अवकाश के साथ मिले पूरा वेतन

Laborers get full pay with time off on Labor Day

बुरहानपुर । किसी भी देश के विकास और उसके निर्माण में अहम भूमिका निभाने वाले श्रमिक मज़दूर होते हैं। बुरहानपुर मज़दूर यूनियन ने 1 मई विश्व श्रमिक दिवस की पूर्व संध्या पर श्रमिकों का स्वागत सम्मान कर नाश्ता स्वल्पाहार वितरित किया। मज़दूर यूनियन अध्यक्ष ठाकुर प्रियांक सिंह ने मजदूरों की दशा सुधारने एवं सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने पर जोर देते हुए कहा यह दिवस हमें सोचने पर मजबूर करता है कि एक बेहतर सुरक्षित कार्यस्थल न केवल श्रमिकों बल्कि समाज और देश की प्रगति के लिए अत्यंत आवश्यक है। पूर्व की तुलना में आज श्रमिकों की आर्थिक स्थिति में थोड़ा बहुत सुधार हुआ है परंतु यह पर्याप्त नहीं है। श्रमिक दिवस हर वर्ष हमें यह याद दिलाता है कि श्रमिकों के बिना समाज और अर्थव्यवस्था की कल्पना भी नहीं की जा सकती। यह दिन हमें उनके संघर्षों और योगदान को सम्मानित करने का मौका देता है साथ ही उनकी मेहनत को और बेहतर भविष्य की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित करता है।

मज़दूर यूनियन ने सवेतन अवकाश प्रदान करने की रखी मांग:

मजदूर यूनियन ने कहा कि सरकार को राज्य के समस्त औद्योगिक एवं वाणिज्यिक संस्थानों के नियोक्ताओं तथा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के प्रबंधकों से अपने कारखाने, प्रतिष्ठानों में श्रमिकों को इस दिन अवकाश प्रदान कर पूरा वेतन भुगतान सुनिश्चित करवाने का आदेश देना चाहिए।

अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस पर विश्व के अनेक देशों में सार्वजनिक अवकाश:

विश्व के कई देशों में जैसे दक्षिण अफ्रीका, ट्यूनीशिया, तंजानिया, जिम्बाब्वे, चीन, इत्यादि में 1 मई को सार्वजनिक अवकाश होता है। इस दिन श्रमिकों के योगदान को सम्मानित किया जाता है और श्रमिकों के अधिकारों पर विशेष परिचर्चा की जाती है।

ठाकुर ने बाबा साहब अंबेडकर को विशेष रूप से याद करते हुए कहा डॉ बाबा साहब अंबेडकर जी ने भारत में भी विश्व पटल की तरह समस्त श्रमिक कामगारों को 8 घंटे कार्य करने के लिए कानून सुनिश्चित किया। यूनियन अध्यक्ष ने आगे कहा बाल श्रम, बंधुआ मजदूरी, असमानता, कारखानों में मज़दूरों के लिए असुरक्षित वातावरण आज भी देखा जा सकता है। श्रमिक कल्याण नीतियां तो बनी है परंतु उसका पालन अभी भी उचित रूप से नहीं हो पा रहा है।

1 मई विश्व श्रमिक दिवस का इतिहास व विशेषता:

1 मई को अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस जिसे मई दिवस भी कहा जाता है पूरे विश्व में मनाया जाता है। अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस की शुरुआत 19वीं शताब्दी के अंत में अमेरिकी श्रमिक आंदोलन से हुई थी। यह दिन दुनिया भर के उन मेहनतकश लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित करने का है जिनकी कड़ी मेहनत और समर्पण ने समाजों और अर्थव्यवस्थाओं को आकार दिया है।श्रमिक दिवस न केवल श्रमिकों की मेहनत का उत्सव है बल्कि यह उन्हें उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने का भी एक महत्वपूर्ण अवसर है।
1 मई को श्रमिकों द्वारा आठ घंटे की कामकाजी दिन के लिए एक हड़ताल की शुरुआत की गई थी जो 1886 में शिकागो में हिंसा में बदल गई। इस घटना में सात पुलिसकर्मी और चार नागरिकों की जान चली गई थी। उसके पश्चात 8 घंटे के कार्य पद्धति की स्थापना हुई।

श्रमिक दिवस का महत्व:

श्रमिक दिवस का उद्देश्य न केवल श्रमिकों की कड़ी मेहनत को पहचानना है बल्कि यह उन्हें उनके अधिकारों के बारे में शिक्षित करना है ताकि वे शोषण से बच सकें। यह दिन श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा और श्रमिकों के लिए बेहतर कामकाजी परिस्थितियों की आवश्यकता पर ध्यान केंद्रित करता है। यह दिन श्रमिकों के योगदान को मान्यता देने के साथ-साथ श्रमिकों के अधिकारों की सुरक्षा में प्रगति और संघर्षों को भी उजागर करता है। श्रमिकों के अधिकारों के लिए चल रहे संघर्षों को रेखांकित करते हुए यह दिन हमें यह याद दिलाता है कि श्रमिकों के लिए हमें निरंतर प्रयास करने की आवश्यकता है।श्रमिक दिवस की पूर्व संध्या पर श्रमिकों के मध्य पहुंचकर स्वागत सम्मान करते समय विनोद लोंढे, राहुल इंगले, आयुष भावसार, सचिन गाढ़े, सुमेश तायडे, आदि उपस्थित रहे।

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