“जिनकी कुर्सियाँ पत्थर की थीं, अब ज़मीन खिसक चुकी है!”, लघु सिंचाई विभाग का बड़ा एक्शन, वर्षों से जमे तीन अवर अभियंता बाहर फेंके गए
"Those whose chairs were made of stone, now the ground has slipped!", Big action by the Minor Irrigation Department, three junior engineers who were posted for years were thrown out
अवर अभियंताओं के तबादले से मचा हड़कंप: वर्षों से जमे अधिकारियों की जड़ें हिलीं, कई ‘खास’ हुए बेनकाब
गाजीपुर। उत्तर प्रदेश में लघु सिंचाई विभाग ने ऐसा कदम उठाया है जिससे कई ‘अस्थायी राजा’ अब बेघर अधिकारियों की कतार में आ गए हैं। वर्षों से एक ही जिले में जड़ें जमाए बैठे, सिफारिश, चाटुकारिता और मलाईदार कुर्सियों के दामन से चिपके अवर अभियंताओं की चालें आखिरकार पकड़ ली गईं। 3 जून को जारी स्थानांतरण आदेश में गाजीपुर जिले के तीन ऐसे नाम शामिल हैं जो खुद को जिला-स्तरीय “साम्राज्य” का बादशाह समझ बैठे थे।
18 साल से कुर्सी पर जमा था अंगद का पांव – आखिरकार उखड़ गया:
विभागीय सूत्रों के मुताबिक जिले के कुछ अभियंता 15 से 18 साल से एक ही जिले में जमा कर मनमानी कर रहे थे। जैसे ही आदेश आया, उनके “नेटवर्क”, “राजनीतिक रसूख”, और “काला कमाई वाला खेल” सब ताश के पत्तों की तरह बिखर गया। लेकिन विभागीय सूत्र यह भी बताते हैं कि अभी भी स्थानान्तरण के सूची में शामिल अवर अभियंता सेटिंग लगवाकर जिले में रूकने की सिफारिश कर रहे हैं।
विभागीय सूत्र बताते हैं कि अवर अभियंता सुनील कुमार, जो गाजीपुर में वर्षों से डीआरडीए में कब्जा जमाए बैठे थे, और राजनीतिक गलियारों में चहलकदमी करने के लिए कुख्यात थे, अब मऊ का रास्ता नापेंगे। अवर अभियंता जितेंद्र बहादुर, जिनका नाम विभागीय चाटुकारों की टॉप सूची में लिया जाता था, गाजीपुर से आजमगढ़ भेज दिए गए हैं। ये जनपद के विकास खंडों में अपनी ‘सेवाएं’ देकर अधिकारियों को खुश रखते थे। अवर अभियंता रामधनी प्रसाद, जिन्हें स्थानीय लोग “मनमानी इंजीनियर” कहने से भी नहीं हिचकते, चंदौली के मूल निवासी हैं और जखनिया ब्लाक व स्टोर जैसे में अपनी ‘कला’ दिखाकर खूब कमाया। अब उन्हें गाजीपुर छोड़कर आजमगढ़ जाना होगा — और सबसे बड़ी बात, गाड़ी के हूटर के साथ रौब मारना अब छूट जाएगा।
अब बची नहीं कोई सिफारिश की ढाल!
मुख्य अभियंता द्वारा साफ-साफ चेतावनी दी गई है — अगर कोई अधिकारी इस आदेश को रुकवाने के लिए ऊपर तक हाथ-पैर मारता है तो उसे सेवा नियमावली के तहत विभागीय अनुशासनात्मक कार्रवाई झेलनी पड़ेगी। साफ- साफ स्पष्ट किया गया है कि एक सप्ताह के अंदर प्रतिस्थानी बगैर प्रतीक्षा किए नवीन पद का कार्यभार ग्रहण कर लें। जो अधिकारी स्थानान्तरण आदेशों का पालन न करते हुए संबंधित अवर अभियंताओं को कार्यमुक्त नहीं करेंगे। उनके विरुद्ध विभागीय कार्रवाई की जाएगी। एक सप्ताह बाद भी गाजीपुर जिले के तीनों अभियंताओं को कार्यमुक्त न किया जाना यह सवाल हर किसी के जेहन में कौंध रहा है।
विभाग ने चेताया:
यदि कोई अधिकारी अपने स्थानांतरण को अवैध रूप से रुकवाने या राजनैतिक दबाव डालने की कोशिश करता है, तो इसे सेवाएं नियमों के उल्लंघन के तहत सख्त कार्रवाई का आधार माना जाएगा।
लेकिन आश्चर्य कि बात तो यह है कि इतना सख्त आदेश के बाद भी जिले के लघु सिंचाई विभाग के सहायक अभियंता अपने जबाबों में फसती नजर आई।
वर्जन –
तीनों अवर अभियंताओं को कार्यमुक्त कर दिया गया है। हमारे पास जब लेटर आयेगा तभी न करेंगे कार्यमुक्त, जब आयेगा लेटर तो कर दिए हैं। कोई और बात है तो बताईए जो है… नहीं – नहीं, स्टेटमेंट इसको रहने दीजिए। स्टेटमेंट की जरूरत नहीं है, यह तो विभागीय प्रक्रिया है। जब तक लेटर नहीं आयेगा न तो ज्वाईन किया जाएगा न तो रिलीव किया जाएगा। इन लोगों को कार्यमुक्त कर दिया गया है। इसमें बेसिकली क्या करना है आपको… इसमें मैं नहीं समझ पा रही हूं। इसमें आपको क्या न्यूज लगाने की जरूरत है। इन लोगों को बहुत सारे चार्ज होते हैं। हम भेज दिए हैं उसके बाद डिवीजन से कार्यमुक्त होंगे। मैंने अपने जिले से छोड़ दिया है – रीना कुमारी, सहायक अभियंता लघु सिंचाई विभाग गाजीपुर