“इमोशनल हेल्थ किसी जेंडर का मुद्दा नहीं, बल्कि इंसानियत का है”,शीना बजाज, पुरुषों की मानसिक सेहत पर
"Emotional health is not a gender issue, but a human issue", Sheena Bajaj on men's mental health
मुंबई:पॉपुलर टीवी शो वंशज में नज़र आ चुकीं एक्ट्रेस शीना बजाज इन दिनों माँ बनने की खूबसूरती को जी रही हैं। इसी के साथ वे उन मुद्दों पर भी सोच रही हैं जिन पर समाज अक्सर चुप्पी साध लेता है—जैसे पुरुषों की मानसिक और भावनात्मक सेहत। शीना इस बारे में खुलकर बात करती हैं कि कैसे पुरुष चुपचाप अपने इमोशनल बोझ को उठाते हैं और क्यों इस विषय को समाज में ज़्यादा समझ और संवेदनशीलता के साथ देखा जाना चाहिए।शीना कहती हैं, “बिलकुल, ये एक ऐसा मुद्दा है जिसे अब तक ठीक से समझा और अपनाया नहीं गया है। हम बराबरी की बात करते हैं, इमोशनल वेल-बीइंग की बात करते हैं, लेकिन इन चर्चाओं में पुरुषों को कहीं न कहीं भुला दिया जाता है। पुरुषों पर हमेशा मज़बूत दिखने का दबाव रहता है—‘रोओ मत’, ‘कमज़ोर मत बनो’, ‘मर्द बनो’। ये बहुत नाइंसाफी है। इमोशनल हेल्थ किसी जेंडर का मुद्दा नहीं है, ये हर इंसान से जुड़ा हुआ है।”
वो बताती हैं कि ये चुप्पी बचपन से ही शुरू हो जाती है। “बचपन से ही लड़कों को सिखाया जाता है कि रोना नहीं है, भावनाएँ नहीं दिखानी हैं। धीरे-धीरे वे अपनी भावनाओं को दबाना सीख जाते हैं। उन्हें कभी वो स्पेस ही नहीं मिला जहाँ वे खुलकर कुछ कह सकें या महसूस कर सकें। यही चुप्पी उनकी आदत बन जाती है, लेकिन ये बहुत नुकसानदायक है।”
एक महिला के नजरिए से शीना कहती हैं कि समझदारी और सहानुभूति बेहद ज़रूरी है। “अक्सर हम औरतें इमोशनली ज़्यादा एक्सप्रेसिव होती हैं क्योंकि हमें बचपन से ऐसा करने दिया गया है। लेकिन कई बार हम ये उम्मीद करने लगते हैं कि पुरुष भी वैसा ही महसूस और ज़ाहिर करें। जब वे ऐसा नहीं करते, तो हम उन्हें गलत समझ लेते हैं। हमें ज़्यादा समझदारी, धैर्य और करुणा की ज़रूरत है। ये दोनों ओर से सीखने की प्रक्रिया है।”
आगे का रास्ता क्या है? शीना मानती हैं कि इसका हल है जागरूकता, सुरक्षित माहौल और रोल मॉडल्स। “हमें ऐसे माहौल बनाने होंगे—चाहे घर में हो, दोस्ती में, या काम की जगह—जहाँ पुरुष खुद को बिना डर, शर्म या मज़ाक का शिकार बने, खुलकर ज़ाहिर कर सकें। और हाँ, प्रतिनिधित्व भी ज़रूरी है। पब्लिक फिगर्स, एक्टर्स, और इन्फ्लुएंसर्स को अपने इमोशनल संघर्षों के बारे में खुलकर बात करनी चाहिए। इससे वल्नरेबिलिटी को सामान्य और स्वीकार्य बनाया जा सकता है।”
स्क्रीन पर स्ट्रॉन्ग किरदार निभाने के बाद अब एक नया अध्याय शुरू कर रहीं शीना एक सशक्त संदेश के साथ अपनी बात खत्म करती हैं: “हम औरतों की भी एक भूमिका है—सुनने की, साथ देने की, और अपने जीवन में मौजूद पुरुषों को ये याद दिलाने की कि अपनी भावनाएँ ज़ाहिर करना ताकत की निशानी है, कमज़ोरी की नहीं।”