राम चरित मानस में चार घाट है जहां भगवान की निरंतर कथा होती है। घनश्यामानंद ओझा । व
There are four ghats in Charit Manas where the continuous Ram Katha of the Lord takes place.
देवरिया।
बरहज तहसील के पिपरा खेमकरन में चल रहे प्रतिष्ठात्मक यज्ञ में श्री राम चरित मानस के , महत्व की चर्चा करते हुए पंडित घन्श्यामानंद ओझा ने कहा कि मानस का एक न्याय कहता है की जब भगवान से प्रेम स्थापित करना हो तो सर्वप्रथम उसके बारे में जानना आवश्यक हैं संत गोस्वामी तुलसीदास जी ने मानस में बताया कि जाने बिनु न होई परतिती ,बिनु परतीति होई नहिं प्रीती.
जब तक जानेगें नहीं तब तक , विश्वास नहीं होगा और जब तक विश्वास नहीं होगा ,वेदों के हिसाब से मानें तो इस मानस की कथा चार स्थानों पर सुनाई गयी है सबसे प्रथम स्थान है काशी का अस्सी घाट काशी, तो आप लोग जानते होंगे ये वही मोक्ष दायिनी काशी है जो भगवान शिव के त्रिशूल पर स्थित नगरी है इस स्थान पर वक्ता के रूप में स्वयं पूज्यपाद श्री तुलसीदास जी बैठे हैं श्रोता के रूप में संतों का समाज है अथवा गंगा मैया हैं और गोस्वामी जी कहते हैं “स्वान्तः सुखाय तुलसी” अर्थात तुलसी दास जी का स्वयं का अपना मन है,इस घाट का नाम है शरणागत घाट मानस के पहले वक्ता गोस्वामी तुलसी दास जी कहते हैं- मै आप लोगों को वह कथा सुनाऊंगा जो की प्रयागराज में याग्यवल्क्य ऋषि ने भरद्वाज को सुनाई थी ,अब दुसरे कथा वाचक श्री याज्ञवल्क्य ऋषि और श्रोता हैं श्री भरद्वाज जी और स्थान है श्री तीर्थराज प्रयाग और उस घाट का नाम है कर्मकांड घाट ,याग्यवल्क्य ऋषि जी कहते हैं श्री भरद्वाज ऋषि- से ऋषिवर मै आपको वो कथा सुनाऊंगा जो की कैलाश पर्वत पर बैठ कर भुतभावन भगवान श्री शिव ने माता पार्वती को सुनाई थी,अब तीसरे कथा वाचक श्री भगवान शिव हैं,और श्रोता के रूप में माता पार्वती जी विराजमान हैं ,और स्थान है कैलाश पर्वत नाम है ज्ञानघाट बाबा शिव कहते हैं माता पार्वती से कि हे देवी मैं आपको वह कथा सुनाने जा रहा हूँ जिस कथा को मैंने श्री कागभुसुण्डी जी के मुख से सुनी थी .
अब चौथे वक्ता के रूप में कागभुशुण्डी जी महाराज हैं और स्थान का नाम हिमालय का निलगिरी पर्वत तथा घाट का नाम मानसकार भक्ति घाट है और श्रोता के रूप में बहुत सारे पक्षी हैं, परंतु मुख्य श्रोता के रूप में पक्षियों के राजा भगवान श्री विष्णु जी के वाहन गरुड़ भगवान जी हैं और इन चारों स्थानों पर कथा प्रारम्भ करने से पूर्व वक्ताओं ने कथा की महिमा गाई है. मुख्य रुप से सहयोगी राजा तिवारी, जेपी मणि, अमुल्य पांडेय, पवन पांडेय आदि उपस्थित रहे।