Deoria news, दीपावली पर विशेष
।।दीपावली पर विशेष।।
देवरिया।
तमसो मा ज्योतिर्गमय
सत्यंएव जयति नानृतम्
यह शरीर एक दीपक है। इसमें स्नेह रूपी घी है, जहाँ स्नेह का अर्थ केवल प्रेम नहीं, बल्कि वह आंतरिक चिकनाई है जो जीवन को मृदुल बनाती है।
वृत्ति रूपी बत्ती जब इस स्नेह में डूबी रहती है और हम उसमें चेतना की ज्योति प्रज्वलित कर देते हैं, तब यह दीपक भीतर से उजाला फैलाने लगता है।
जब हमारी वासना रूपी कालिमा समाप्त हो जाती है, तब केवल ज्योतिर्मय आत्मा ही शेष रहती है । शांत, उज्ज्वल, अमर, जन्म मरण के बंधन से मुक्त ।दीपावली का यही सन्देश है कि हम अपनी वासनाओं को जलाएँ, अंधकार को मिटाएँ, और इस अग्नि को अंतर्मन का महोत्सव बनाएं। असतो मा सद्गमय । उत्सव का अर्थ उत्कृष्ट यज्ञ स्मरण रहे कि सव का अर्थ है “ यज्ञ” और “उत्सव” का अर्थ है उत्कृष्ट यज्ञ।दीपावली तो महोत्सव है ।
सामान्य यज्ञ का फल उधार सौदा है क्योंकि उसका प्रतिफल अगले जन्म में मिल सकता है या स्वर्ग में मिल सकता है , पता नहीं , उधारी बात । इसी उधारी पर सनातन के अतिरिक्त सभी आश्रित हैं । परंतु उत्सव, अर्थात् उत्कृष्ट यज्ञ, एक प्रत्यक्षफल सौदा है ।जिसका फल सद्यः (तुरंत), इसी जीवन में, उल्लास और आनंद के रूप में प्राप्त होता है। यह विशेषता , सद्य फल अर्थात् यहीं करो और यहीं फल पाओ , यह संसार के किसी अन्य मत, मज़हब या परंपरा में नहीं है। यह केवल सनातन धर्म की अद्भुत औरजीवनमूलक दृष्टि है।
किसी भी क्रिया पर सनातन दृष्टिकोण, सनातन धर्म में किसी भी क्रिया में न धर्म है न अधर्म । मूल बात यह है कि वह क्रिया हम अपनी वासना के वश में होकर कर रहे हैं या शास्त्रीय अनुमोदन दीपावली के दिन जब लक्ष्मी-स्मरण के भाव से, सीमित मात्रा में,
क्योंकि दीपावली के समय लक्ष्मी स्मरण के साथ उसमें वासना नहीं, उपासना होती है।