80 में 18 का खेल तो इस करण जयंत चौधरी से बीजेपी करना चाहती है मेल
चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न मिलने के बाद बीजेपी और राष्ट्रीय लोकदल की नजदीकियां काफी तेजी से बढ़ने लगी हैं, जो कि उनके बीच लोकसभा चुनाव में गठबंधन की ओर संकेत कर रहा है।बीजेपी और आरएलडी का गठजोड़ कांग्रेस और सपा के लिए बड़ी चुनौती खड़ी करने जा रहा है,(The BJP and the Rashtriya Lok Dal (RLD) have grown closer after Chaudhary Charan Singh was awarded the Bharat Ratna, indicating an alliance between them in the Lok Sabha elections. The BJP-RLD alliance poses a major challenge for the Congress and SP is going to do)इसके अलावा यह गठबंधन दोनों दलों को एक बार रणनीति बदलने पर मजबूर भी करेगा,राजनीतिक जानकार बताते हैं कि जयंत के पाला बदलने से सपा और कांग्रेस के सामने बड़ी मुसीबत खड़ी हो सकती है, क्योंकि उन्हें जाट बहुल सीटों पर मशक्कत करनी पड़ेगी. 2022 में इन सीटों पर दोनों दलों को काफी फायदा मिला था।चुनावी आंकड़ों को देखें तो 2022 के विधानसभा में मेरठ, मुरादाबाद और साहरनपुर मंडल में जाट मुस्लिम का गठजोड़ काफी कारगर साबित हुआ था. 2017 में बीजेपी ने यहां 50 से ज्यादा सीटों पर जीत हासिल की थी. वहीं 2022 के आंकड़ों को देखने से सामने आता है कि बीजेपी को 40 सीटों पर ही कामयाबी मिली, जबकि विपक्ष की सीटें 20 से बढ़कर 31 हो गई. 2019 के संसदीय चुनाव में सपा, बसपा और आरएलडी के गठबंधन ने मोदी लहर होने के बाद भी सभी छह सीटों पर कब्जा किया था. इनमें बिजनौर, नगीना और अमरोहा सीटें बसपा को मिलीं, जबकि मुरादाबाद, संभल और रामपुर सीटों पर सपा काबिज हुई,आरएलडी किसी सीट पर नहीं लड़ी थी।राजनीतिक विश्लेषक वीरेंद्र सिंह रावत कहते हैं कि लोकसभा चुनाव में जाट वोट काफी महत्वपूर्ण है, इसलिए बीजेपी आरएलडी के साथ गठबंधन करने के लिए आतुर है. यूपी की 18 ऐसी सीटें हैं,जिनमे इनकी काफी महत्वपूर्ण भूमिका मानी जाती है. कैराना, मुरादाबाद, अलीगढ़, मुज्जफरनगर, मेरठ, साहरनपुर, बिजनौर, संभल, नगीना, इन पर मुस्लिम वोटर भी काफी प्रभावी भूमिका में हैं,इसी कारण इनका आपसी गठजोड़ भी काफी मुफीद होता है,2014 के बाद से जाट वोट बैंक पर बीजेपी की पकड़ काफी मजबूत दिखाई दे रही है।आरएलडी के सपा के साथ न रहने से काफी मुश्किल हो सकती है।रावत कहते हैं कि जयंत के आने से बीजेपी में जाट वोट का विभाजन रुकेगा।जयंत के आने से पश्चिमी यूपी के साथ हरियाणा और राजस्थान की राजनीति साधेगी, क्योंकि चौधरी चरण सिंह के परिवार से बड़ा अभी तक कोई बड़ा जाट नेता नजर नहीं आ रहा है. भारत रत्न से इसकी बानगी भी दिखाई दे गई, उन्होंने कहा कि जयंत को बीजेपी में आने से बहुत फायदे हैं।एक तो उनकी सीटें बढ़ेंगी और कन्वर्जन रेट भी बढ़ेगा. अगर सरकार बनती है तो उनके मंत्री बनने का भी मौका है. चाहे अनुप्रिया हो या रामदास आठवले, सभी गठबंधन में हैं और मंत्री भी हैं. सरकार में रहने पर जाट राजनीति भी भरपूर तरीके से कर पाएंगे. बीजेपी के पास वैसे भी जाट नेताओं की कमी हैं, जिसे जयंत के साथ पूरा किया जा सकता है.एक अन्य राजनीतिक विश्लेषक रतनमणि लाल कहते हैं कि अगर जयंत अखिलेश और कांग्रेस के साथ होते तो कांग्रेस को पांच से आठ से सीटों के बारे में सोचना न पड़ता, जहां पर आरएलडी का दबदबा है. यही वे सीटें थीं, जहां अखिलेश भी अपने को मजबूत नहीं समझते हैं. इसी कारण वे सात सीटें छोड़ने को तैयार थे. अब इन सीटों पर कांग्रेस और सपा को बड़ा झटका लगा है, क्योंकि जाट बाहुल सीटों पर जयंत अपने लिए काम करेंगे. कांग्रेस पहले ही सीटों को लेकर परेशानी का सामना कर रही है. अब जयंत के जाने से उन्हें नए सिरे से माथापच्ची करनी पड़ेगी,रतनमणि कहते हैं कि जयंत के बीजेपी के साथ जाने से जाट और मुस्लिम कॉम्बिनेशन का फायदा मिलेगा,पश्चिमी क्षेत्र में जयंत और मजबूत होंगे,बीजेपी पश्चिम में मजबूत होगी,इसका असर अन्य इलाकों में भी होगा।आरएलडी मुखिया सांसद जयंत चौधरी ने राज्यसभा में मोदी सरकार की तारीफ में कहा कि मैं 10 साल तक विपक्ष में रहा हूं, कुछ समय के लिए इस सदन के इस तरफ बैठा हूं. दस साल में मैंने देखा है कि मौजूदा सरकार की कार्यशैली में भी चौधरी चरण सिंह के विचारों की झलक मिलती है. पीएम मोदी गांव में शौचालयों के मुद्दों को संबोधित करते हैं।जब भारत सरकार महिला सशक्तिकरण को अपना मंच बनाती है और गांवों में जागरूकता पैदा करती है, तो मुझे इसमें चौधरी चरण सिंह जी की बोली याद आती है. हम लोग बंटे रहेंगे तो नेताओं को समझ नहीं पाएंगे. कुछ लोग जाटों और किसानों का नेता चौधरी चरण सिंह को मानते थे.सपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉक्टर आशुतोष वर्मा कहते हैं कि जयंत चौधरी ने अभी आधिकारिक कोई घोषणा नहीं की है कि वे बीजेपी में जा रहे हैं।जिस प्रकार से पश्चिम में उन्होंने किसानों के मुद्दों पर कई लड़ाई लड़ी है, उनके ऊपर बीजेपी ने लाठी बरसाई है, उसे भुलाया नहीं जा सकता. उन्होंने बीजेपी के खिलाफ एक बड़ी मुहिम छेड़ रखी है. आरएलडी, सपा और कांग्रेस मिलकर बीजेपी का रथ रोकने जा रही है. बीजेपी, इंडिया गठबंधन से परेशान न होती तो हमारे गठबंधन में शामिल लोगों को तोड़ती नहीं. जनता सब कुछ जान चुकी है।इन्हें चुनाव मे जवाब देने को तैयार है।कांग्रेस के प्रवक्ता अंशू अवस्थी कहते हैं कि यूपी जातीय समीकरण में फिट है।राहुल गांधी की न्याय यात्रा जहां-जहां से गुजरेगी, बीजेपी वहां साफ होती जाएगी. पश्चिमी यूपी में जाट और किसानों के मुद्दों पर कांग्रेस आगे रही है।जयंत अभी हमारे गठबंधन का हिस्सा हैं. बीजेपी जानती है कि कांग्रेस ही उसे हरा सकती है, इसी कारण वह परेशान है.बीजेपी प्रवक्ता आनंद दुबे कहते हैं कि इंडिया गठबंधन, बीजेपी के डर के कारण बना है. इसमें शामिल सभी दल एक दूसरे को गाली देते थे. अब उन्हें कांग्रेस ने हार का साझीदार बनाने के लिए एक साथ जोड़ा है. कांग्रेस नहीं चाहती है कि हार का ठीकरा सिर्फ राहुल गांधी के सिर पर फूटे, इसी कारण उन्होंने यह गठजोड़ तैयार किया है. यह लोग अपने सहयोगियों को संभालने में खुद असमर्थ है. अब तरह तरह के बहाने बना रहे हैं. मोदी जी एक बार फिर से प्रचंड बहुमत से जीतने जा रहे हैं. इसी कारण इंडिया गठबंधन के लोग परेशान हैं।