आजमगढ़:फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन करने के लिए एक और मौका,दवा खाने से छूटे लाभार्थियों के लिए आज से शुरू होगा मॉप अप राउंड,अब पाँच मार्च तक चलेगा फाइलेरिया ट्रिपल ड्रग थेरेपी आईडीए अभियान

जनपद में अबतक 44 लाख से अधिक लोगों ने किया फाइलेरिया रोधी दवा का सेवन‘फाइलेरिया’ मच्छर जनित लाइलाज बीमारी, बचाव के लिए दवा का सेवन जरूरी – सीएमओ

 

आजमगढ़:जिले में फाइलेरिया उन्मूलन के लिए चलाये गये सामूहिक दवा सेवन ट्रिपल ड्रग थेरेपी आईडीए अभियान के तहत लोगों को घर-घर जाकर फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन कराया जा रहा है। यह अभियान 10 फरवरी से 28 फरवरी तक संचालित किया गया, लेकिन जो परिवार व लाभार्थी किन्हीं कारणों से दवा खाने से छूट गए हैं या जो उदासीन हैं, उनके लिए स्वास्थ्य विभाग ने एक और मौका दिया है। आईडीए अभियान के तहत मॉप अप राउंड आज (वृहस्पतिवार) से शुरू किया जा रहा है जो कि पाँच मार्च तक चलेगा। यह जानकारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ आईएन तिवारी ने दी।
सीएमओ ने कहा कि फाइलेरिया, एक मच्छर जनित लाइलाज व गंभीर बीमारी है। इससे बचने के लिए फाइलेरिया रोधी दवा का ही एकमात्र उपाय है। इसलिए वर्ष में एक बार चलने वाले फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन जरूर करें। पाँच साल तक लगातार व साल में एक बार इस दवा के सेवन से फाइलेरिया संक्रमण से बचा जा सकता है। फाइलेरिया किसी भी व्यक्ति को हो सकता है।
वेक्टर बॉर्न डिजीज नियंत्रण कार्यक्रम के नोडल अधिकारी व एसीएमओ डॉ एके चौधरी ने कहा कि गर्भवती, एक वर्ष से छोटे बच्चे और गंभीर रूप से बीमार लोगों को छोड़कर इस दवा का सेवन सभी लोगों को करना है। यह दवा फाइलेरिया, जिसको हम हाथीपांव के नाम से भी जानते हैं, उससे सुरक्षा प्रदान करेगी। दवा का सेवन खाली पेट नहीं करना है। डॉ चौधरी ने बताया कि आईडीए अभियान के तहत जनपद में पिछले 10 दिनों में 44.64 लाख आबादी को फाइलेरिया से इस बचाव की दवा का सेवन कराया जा चुका है। लक्ष्य के सापेक्ष करीब 87 प्रतिशत आबादी को कवर किया जा चुका है। मॉप अप राउंड में शत-प्रतिशत लोगों को दवा का सेवन कराया जाएगा।
क्या है फाइलेरिया –जिला मलेरिया अधिकारी राधेश्याम यादव ने बताया कि फाइलेरिया मादा क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होता है। इसे हाथीपांव भी कहा जाता है। इसके प्रभाव से पैरों व हाथों में सूजन, पुरुषों मे हाइड्रोसील (अंडकोष में सूजन) और महिलाओं के स्तन में सूजन आदि लक्षणों की समस्या आती है। बीमारी के लक्षण 5 से 15 साल बाद दिखाई देते हैं। यह बीमारी न सिर्फ व्यक्ति को दिव्यांग बना देती है बल्कि इस वजह से मरीज की मानसिक स्थिति पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है।
प्रतिकूल प्रभाव से न घबराएँ – अभियान के दौरान स्वास्थ्यकर्मियों के सामने ही फाइलेरिया रोधी दवा का सेवन करें। दवा खाली पेट नहीं खानी है। दवा खाने के बाद किसी-किसी को जी मिचलाना, चक्कर या उल्टी आना, सिर दर्द, खुजली की शिकायत हो सकती है, ऐसे में घबराने की जरूरत नहीं है। यह एक सामान्य प्रक्रिया है। ऐसा शरीर में फाइलेरिया के सूक्ष्म परजीवी के होने से होता है, जो दवा खाने के बाद नष्ट हो जाते हैं। ऐसी प्रतिक्रिया कुछ देर में स्वतः ठीक हो जाती है। यदि यह समस्या बनी रहती है तो रैपिड रिस्पांस टीम या नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र से संपर्क करें।बचाव –घर के आस-पास पानी, कूड़ा और गंदगी जमा न होने दें। घर में भी कूलर, गमलों अथवा अन्य चीजों में पानी न जमा होने दें। सोते समय पूरी बांह के कपड़े पहनें और मच्छरदानी का प्रयोग करें।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button