तेजस्वी यादव ने कहा, मेरा दर्द बिहार के करोड़ों बेरोजगार युवाओं की तकलीफ के आगे कुछ भी नहीं
"My pain is nothing compared to the suffering of millions of unemployed youth in Bihar," Tejaswi Yadav said
राजद नेता और बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव शुक्रवार को दर्द से बेचैन थे और उन्हें मंच से कार्यकर्ताओं ने सहारा देकर नीचे उतारा था। उन्होंने ने शनिवार को बताया कि उनकी कमर में दर्द है जो बढ़ गया है।
पटना, 4 मई ।राजद नेता और बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव शुक्रवार को दर्द से बेचैन थे और उन्हें मंच से कार्यकर्ताओं ने सहारा देकर नीचे उतारा था। उन्होंने ने शनिवार को बताया कि उनकी कमर में दर्द है जो बढ़ गया है।
हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि मेरा यह दर्द बिहार के उन करोड़ों बेरोजगार युवाओं की तकलीफ के आगे कुछ भी नहीं है।
तेजस्वी यादव ने शनिवार को अपने एक्स अकाउंट पर पोस्ट किया, “महीनों से अलट-पलट वाली अथक सामाजिक राजनीतिक यात्रा रही है। आराम के अभाव एवं निरंतर यात्रा के कारण दो हफ़्ते से कमर में हल्का दर्द था, दो दिन से अचानक बढ़ गया।”
उन्होंने आगे कहा कि लेकिन मेरा ये दर्द बिहार के उन करोड़ों बेरोजगार युवाओं की तकलीफ के आगे कुछ भी नहीं है, जो नौकरी-रोजगार की आस में बैठे हैं जिनके सपनों को विगत 10 वर्षों में धर्म की आड़ में कुचला गया है। मैं अपने दर्द को भूल जाता हूं जब देखता हूं कैसे गरीब माताओं-बहनों को महंगाई के कारण रसोई चलाने में भारी पीड़ा का अनुभव होता है। किसान भाइयों को सिंचाई के साधन व फसल का उचित दाम नहीं मिलने तथा संसाधनों के अभाव एवं रोजी-रोटी के लिए लाखों साथियों के पलायन का कष्ट देखता हूं, तो मुझे मेरा दर्द महसूस भी नहीं होता।
छात्र को पीड़ा है क्यूंकि उन्हें अच्छी पढ़ाई नहीं मिल पा रही। बिहार के मेरे बुज़र्गों की पीड़ा है कि उन्हें अच्छी दवाई नहीं मिल पा रही, थाना और ब्लॉक के भ्रष्टाचार से आमजन परेशान है। हर वर्ग को पीड़ा है क्यूंकि उनके अधिकार, उनका न्याय उन्हें नहीं मिल पा रहा है। मैं इन सबों की तकलीफ में अपने आप को साझीदार मानता हूं।
तेजस्वी यादव ने आगे कहा कि बिहार में एनडीए सरकार से जनता त्रस्त है। ऐसे में यदि मैंने अपनी पीड़ा की चिंता की और ये कदम रुक गए तो फिर लोगों की उम्मीदें भी बुझ जाएगीं। महंगाई, तानाशाही, अत्याचार और अन्याय की आग में बिहार झुलसता रहेगा। इसलिए मैंने तय किया है कि भले ही बाधा कितनी हो, भले ही दर्द कितना हो, रुकना नहीं है, झुकना नहीं है और थकना नहीं है। लक्ष्य की प्राप्ति तक चलते जाना है, बढ़ते जाना है, जीतते जाना है जीताते जाना है। लक्ष्य प्राप्त किए बिना रुकना मेरे खून में नहीं है।