निर्मला सीतारमण ने पूछा, कांग्रेस की ‘खटा-खट’ योजनाओं के लिए कहां से आएगा पैसा?

"Where will the money come from for the Congress' 'Khat-Khat' schemes?" asked Nirmala Sitharaman.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान ऊंचे-ऊंचे वादे करने के लिए सोमवार को राहुल गांधी और कांग्रेस पर हमला बोला। उन्होंने सवाल किया कि इन वादों को पूरा करने के लिए पैसा कहां से आएगा।

 

 

नई दिल्ली, 13 मई । वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान ऊंचे-ऊंचे वादे करने के लिए सोमवार को राहुल गांधी और कांग्रेस पर हमला बोला। उन्होंने सवाल किया कि इन वादों को पूरा करने के लिए पैसा कहां से आएगा।

वित्त मंत्री ने कहा कि टैक्स बढ़ाए बिना या भारी कर्ज लिए बिना इन वादों को पूरा नहीं किया जा सकता।

वित्त मंत्री ने एक्स पर किए एक पोस्ट में पूछा, “कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में किए गए बड़े-बड़़ेे वादों की कीमत पर विचार किया है? क्या उन्होंने हिसाब लगाया है कि ‘खटा-खट’ योजनाओं पर कितना खर्च आएगा? क्या वे इन वादों पूरा करने के लिए कर्ज लेंगे या टैक्स बढ़ाएंगे? राहुल गांधी इसके लिए कितनी पुरानी जन कल्याणकारी योजनाओं को बंद करेंगे?”

वित्त मंत्री ने पूछा कि क्या राहुल गांधी इन सवालों का जवाब देंगे और बताएंगे कि टैक्स में बढ़ोतरी किए बिना या कर्ज लिए बिना वे कैसे काम करेंगे।

उन्होंने कहा कि सच्चाई यह है कि भाजपा सरकार का राजकोषीय प्रबंधन यूपीए की तुलना में बहुत बेहतर है।

उन्होंने यह भी कहा कि मोदी सरकार ने कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार की तुलना में देश की वित्तीय स्थिति को बेहतर तरीके से संभाला है। उन्होंने अपनी बात को स्पष्ट करने के लिए आंकड़ों का हवाला दिया।

 

 

 

 

वित्त मंत्री ने कहा कि वित्त वर्ष 2004 से वित्त वर्ष 2014 तक यूपीए शासन के दौरान विदेशी कर्ज लगभग 3.2 गुना बढ़ा था। मार्च 2004 में 18.74 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर यह मार्च 2014 में 58.59 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया था। जबकि एनडीए की सरकार के दौरान वित्त वर्ष 2014 से वित्त वर्ष 2024 में इसमें 2.9 गुना वृद्धि हुई। यह 58.59 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 172.37 लाख करोड़ रुपये हुआ।”

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार का कर्ज, जो वित्त वर्ष 2013-14 के अंत में सकल घरेलू उत्पाद का 52.2 प्रतिशत था, वित्त वर्ष 2018-19 में घटकर लगभग 48.9 प्रतिशत हो गया।

वित्त मंत्री ने कहा,“इस दौरान राजकोषीय घाटा वित्त वर्ष 2013-14 में 4.5 प्रतिशत से कम होकर वित्त वर्ष 2018-19 में 3.4 प्रतिशत हो गया। लेकिन कोविड -19 के कारण वित्त वर्ष 2020-21 में राजकोषीय घाटा बढ़कर सकल घरेलू उत्पाद का 9.2 प्रतिशत हो गया। इससे केंद्र सरकार का कर्ज बढ़कर सकल घरेलू उत्पाद का 61.4 प्रतिशत हो गया।”

उन्होंने कहा कि महामारी के बाद, सरकार ने आर्थिक विकास को बनाए रखते हुए एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाया।

 

 

 

 

 

उन्होंने कहा, “इस रणनीति ने वित्त वर्ष 2020-21 में राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद के 9.2 प्रतिशत से घटाकर वित्त वर्ष 2023-24 के संशोधित अनुमान में 5.8 प्रतिशत कर दिया।”

मंत्री ने कहा कि अंतरिम बजट में वित्त वर्ष 2024-25 में सकल घरेलू उत्पाद में 5.1 प्रतिशत की और कमी आने का अनुमान है।

वित्त मंत्री ने कहा यूपीए शासन के दौरान केंद्र की शुद्ध बाजार उधारी (जी-सेक) 4.5 गुना बढ़ गई थी। हमारी सरकार में कोविड-19 महामारी के बावजूद यह 2.6 गुना बढ़ी। उन्होंने कहा कि यह हमारी सरकार के मजबूत राजकोषीय प्रबंधन को दर्शाता है।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के तहत अंतर्निहित घाटा बजटीय घाटे से अधिक था।

 

 

 

उन्होंने कहा, यूपीए सरकार ने राजकोषीय आंकड़ों की अखंडता को बनाए रखे बिना अपने उच्च राजकोषीय घाटे को छिपाने के लिए ‘विंडो ड्रेसिंग’ की। ऐसा न किया गया होता तो 2008-09 के लिए राजकोषीय घाटा 6.1 प्रतिशत के बजाय 7.9 प्रतिशत होता।

वित्त मंत्री ने कहा, “इसके विपरीत, हमारी सरकार ने अपनी बजट प्रथाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही को प्राथमिकता दी हैै। इससे राजकोषीय आंकड़ों की विश्वसनीयता और मजबूती बढ़ी है।”

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