शेयर ट्रेडिंग ठगी में भंडाफोड़, तीन गिरफ्तार, 10 राज्यों में फैला था नेटवर्क

Stock trading fraud busted, three arrested, network spread over 10 states

गाजियाबाद पुलिस के साइबर क्राइम थाना ने शेयर ट्रेडिंग के नाम पर ठगी करने वाले तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। इन लोगों ने 10 राज्यों में तकरीबन 32 वारदातों को अंजाम दिया था। पुलिस ने 52 लाख रुपए भी जब्त किए हैं।

 

 

 

 

गाजियाबाद, 15 मई । गाजियाबाद पुलिस के साइबर क्राइम थाना ने शेयर ट्रेडिंग के नाम पर ठगी करने वाले तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। इन लोगों ने 10 राज्यों में तकरीबन 32 वारदातों को अंजाम दिया था। पुलिस ने 52 लाख रुपए भी जब्त किए हैं।

 

 

 

 

इस गिरोह के लोग विदेश में बैठे अपराधियों के साथ मिलकर धोखाधड़ी कर रहे थे। हर लेनदेन पर इन्हें एक प्रतिशत कमीशन मिलता था। इनमें से दो आरोपी 12वीं पास है। जितने भी फर्जी ऐप्स हैं, उन्हें गूगल और एप्पल स्टोर्स से हटाने के लिए पुलिस ने पत्र लिखा है।

 

 

 

 

पुलिस ने बताया कि 14 मार्च से लेकर 3 अप्रैल के बीच कुशल पाल सिंह से 70 लाख रुपए की ठगी हुई थी। उन्होंने 23 अप्रैल को थाने में मामला दर्ज कराया था।

 

 

 

 

पुलिस ने कुशल पाल सिंह के 29,57,774 लाख रुपए रिकवर किए हैं। पुलिस ने बताया कि कुशल पाल को ठगों ने व्हाट्सएप ग्रुप “राम इन्वेस्टमेंट एकादमी 146” एवं “टेक्सटार्स वीआईपी सर्विस” टीम से जोड़ा और ऐप डाउनलोड करवाया।

 

 

 

 

 

शेयर ट्रेडिंग के नाम पर भिन्न-भिन्न खातों में पैसा ट्रांसफर कराया। ऐप पर मुनाफे की राशि दिखाकर लालच दिया गया और आय को निकालने के लिए पैसा जमा करने को बाध्य किया गया।

 

 

 

 

 

गिरोह पर देशभर के विभिन्न सूबों में कुल 32 घटनाएं दर्ज हैं। आरोपी रवि शर्मा और भानु राघव उर्फ विक्की 12वीं, जबकि, तीसरा आरोपी सुशील शर्मा बी. कॉम पास है।

 

 

 

 

 

आरोपियों ने बताया कि मनोज कुमार कठैत के साथ मिलकर फर्जी फर्मों के नाम पर करंट अकाउंट खुलवाकर विदेश में बैठे ठगों को भेज देते थे। ये लोग एट ओटीपी फॉरवर्ड ऐप का इस्तेमाल करते थे। इस ऐप के माध्यम से ओटीपी विदेश में इंटरनेट के माध्यम से चला जाता था।

 

 

 

 

इस घटना में मनोज कुमार कठैत के माध्यम से इन लोगों ने कठैत फाइनेंशियल सर्विसेज देहरादून नामक फर्जी फर्म बनाई थी। पंजाब नेशनल बैंक की सहस्त्रधारा शाखा देहरादून में अकाउंट खुलवाकर कुशल पाल के पैसे धोखाधड़ी से हड़पे थे।

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