अयोध्या में भाजपा की हार पर साधु-संतों की सलाह, ‘आत्ममंथन और चिंतन की जरुरत’
Sadhu-sants advise on BJP defeat in Ayodhya, 'Need for self-reflection and reflection'
नई दिल्ली दिल्ली, 6 जून:500 सालों के बाद राम भक्तों का इंतजार 22 जनवरी 2024 को खत्म हुआ। अयोध्या में भगवान रामलला प्राण प्रतिष्ठा के बाद भव्य मंदिर में विराजमान हुए। पीएम नरेंद्र मोदी ने रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की थी।
ऐसे में भाजपा पूरी तरह से आश्वस्त थी कि यहां से पार्टी को लोकसभा चुनाव में बड़ी जीत हासिल होगी। लेकिन, नतीजों में भाजपा को समाजवादी पार्टी के हाथों हार का सामना करना पड़ा।
हर कोई हैरान है कि आखिर रामनगरी अयोध्या की फैजाबाद लोकसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी को क्यों शिकस्त मिली। चुनाव में भाजपा को हार मिलने के बाद सोशल मीडिया पर यूजर्स अयोध्यावासियों को जमकर कोस रहे हैं। इतना ही नहीं इस हार के लिए यूजर्स फैजाबाद संसदीय क्षेत्र के मतदाताओं को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।
इसे लेकर अब अयोध्या के साधु-संतों समेत जनता में नाराजगी देखने को मिल रही है। संत समाज का कहना है कि भाजपा प्रत्याशी लल्लू सिंह को अयोध्या की विधानसभा से तो जीत हासिल हुई है। लेकिन, फैजाबाद लोकसभा में चार अन्य विधानसभा भी हैं, जहां से वह हारे। ऐसे में भाजपा के वरिष्ठ नेताओं को आत्ममंथन और चिंतन करने की जरूरत है।
जगतगुरु राम दिनेशचार्य ने कहा कि अयोध्या से भाजपा का हारना बहुत दुखद है, हम सब जानते हैं कि यहां भव्य राम मंदिर बना, एयरपोर्ट बना और विकास के नए आयाम गढ़े गए। लेकिन, कुछ न कुछ कमी रह गई होगी। जिसकी वजह अयोध्या से भाजपा की हार हुई है। मुझे लगता है कि इस पर पार्टी को चिंतन करने की जरूरत है।
उन्होंने आगे कहा कि अयोध्यावासियों की जिस वजह से लोग आलोचना कर रहे हैं। साढ़े चार लाख वोट भाजपा को मिले हैं। अयोध्या विधानसभा से तो वह (भाजपा प्रत्याशी) जीते ही हैं। लेकिन, फैजाबाद की अन्य विधानसभा से वह क्यों हारे, इसके लिए आत्ममंथन और चिंतन करना जरूरी है।
अयोध्या में बड़ा भक्तमाल मंदिर के महंत अवधेश दास का कहना है कि यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। अयोध्या की जनता ने पूरा प्रयास किया है। फिर भी कहीं न कहीं कोई कमी रही है। जिसकी वजह से अयोध्यावासियों को कई प्रकार के ताने सुनने पड़ रहे हैं। सोशल मीडिया, फेसबुक और यूट्यूब पर लोग अपनी-अपनी भड़ास निकाल रहे हैं। स्वाभाविक है, अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हुआ है। लेकिन, कहां कमी रह गई, इस पर राजनीतिक दलों को मंथन करना चाहिए। सभी साधु-संतों ने राम मंदिर को लेकर भाजपा के पक्ष में वोट किया है। इसमें कोई शक की बात नहीं है। लेकिन, जो स्थानीय लोग हैं, जिनका घर टूटा, किसी की दुकान टूटी है। अगर इन मुद्दों को लेकर लोगों ने वोट नहीं दिया है, यह उनके लिए दुर्भाग्यपूर्ण है क्योंकि अयोध्या के चौड़ीकरण के बाद यहां का विकास धरातल पर दिखाई दे रहा है।
महंत अवधेश दास ने कहा कि यह सुनकर दुख हो रहा है, आज अयोध्या का एक बहुत गलत संदेश गया है। अयोध्या के लोगों को राम मंदिर और हिंदुत्व के पक्ष में वोट करना चाहिए था। लेकिन, हिंदुत्व के सामने जातिवाद के मुद्दे हावी रहे और उन लोगों ने इसका लाभ उठाया। लल्लू सिंह अच्छे प्रत्याशी थे। वह यहां आते रहते थे। लेकिन, अब जो प्रत्याशी हैं, अवधेश प्रसाद वह अयोध्या की तरफ झांकेगा भी नहीं और न ही उनका अयोध्या से कोई लेना-देना है। जो भी वोट चुनाव में उनके लिए पड़ा है, वो गलत पड़ा है।
महंत अवधेश दास मानते हैं कि वीवीआईपी कल्चर ने अयोध्या की जनता को आहत किया है। राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के बाद प्रतिदिन वीआईपी लोग आ रहे थे। जिनके आने से रास्ते बंद कर दिए जाते थे। जनता परेशान होती थी। शासन प्रशासन से इस बारे में बात भी किया गया। लेकिन, कोई हल नहीं निकला।