लोकसभा चुनाव में हार के बाद बंगाल में माकपा ने बदली रणनीति
CPI(M) changes strategy in Bengal after defeat in Lok Sabha elections
कोलकाता, 22 जून : पश्चिम बंगाल में हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनाव में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) एक भी सीट नहीं जीत सकी। इसके बाद माकपा की युवा विंग (शाखा) डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया (डीवाईएफआई) ने अगले दो महीनों में एक आउटरीच कार्यक्रम आयोजित करने का फैसला किया है।
डीवाईएफआई के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि अगले दो महीनों के दौरान, युवा शाखा के कार्यकर्ता पार्टी से उनकी सामान्य उम्मीदों के बारे में जनता की राय जानने के लिए घर-घर जाएंगे।
डीवाईएफआई के एक राज्य समिति सदस्य ने कहा, “हम अपनी पार्टी की छवि सुधारने के लिए जनता की राय भी लेंगे, ताकि आगामी चुनावों में इसका असर दिख सके। हाल ही में हमने देखा है कि हमारे सामूहिक पार्टी कार्यक्रमों या रैलियों में भारी भीड़ उमड़ती है, लेकिन ईवीएम के नतीजों में वही झलक नहीं दिखती। निश्चित रूप से, कहीं न कहीं विश्वसनीयता की कमी है, जो लोगों को हमारे उम्मीदवारों के समर्थन में ईवीएम बटन दबाने से रोक रही है। इसलिए हमें जनता से यह जानना चाहिए कि आत्मविश्वास की कमी कहां है।”
।
पता चला है कि माकपा की विस्तारित राज्य समिति की बैठक अगस्त के आखिरी हफ्ते में नादिया जिले के कल्याणी में आयोजित की जाएगी। जन संपर्क कार्यक्रम के निष्कर्ष वहां पेश किए जाएंगे। विस्तारित बैठक में संगठनात्मक नेटवर्क में मौजूद खामियों पर भी बातचीत की जाएगी।
माकपा सूत्रों ने बताया कि बैठक में चर्चा के लिए आने वाला एक अन्य महत्वपूर्ण मुद्दा पार्टी की पारंपरिक राजनीति की ओर वापस जाना है।
पार्टी के संगठनात्मक ढांचे में शीर्ष स्तर के नेतृत्व को सीधे चुनाव लड़ने से बचना चाहिए, जैसा कि अतीत में प्रमोद दासगुप्ता, सरोज मुखर्जी, सैलेन दासगुप्ता, अनिल और यहां तक कि पश्चिम बंगाल में मौजूदा वाम मोर्चा के अध्यक्ष बिमान बोस जैसे नेताओं ने किया था। उन्होंने अपना पूरा जीवन संगठनात्मक नेटवर्क को सुव्यवस्थित करने में लगा दिया और सीधे चुनाव लड़ने से परहेज किया।
माकपा राज्य समिति के एक सदस्य ने कहा, “विस्तारित राज्य समिति की बैठक में इस बात पर विशेष ध्यान दिया जाएगा कि वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में पार्टी के किसान और ट्रेड यूनियन विंग की ओर से उठाए जाने वाले आंदोलन की अगली रणनीति क्या होगी।”