भारत में नौकरी को लेकर सिटी ग्रुप की रिपोर्ट पर बवाल, सरकार ने रोजगार सृजन का आंकड़ा जारी कर दिया जवाब
Citigroup report on jobs in India riot, government releases job creation data responds
नई दिल्ली,9 जुलाई: सरकार ने सोमवार को सिटी ग्रुप की उस रिपोर्ट का खंडन किया जिसमें दावा किया गया है कि भारत में पर्याप्त नौकरियां पैदा नहीं हो रही हैं। इसको लेकर भारत सरकार के श्रम और रोजगार मंत्रालय की तरफ से आंकड़ा जारी किया गया और बताया कि 2017-18 से 2021-22 तक 8 करोड़ (80 मिलियन) से अधिक रोजगार के अवसर पैदा हुए।
श्रम और रोजगार मंत्रालय ने सिटीग्रुप के दावे का खंडन करने के लिए उस विस्तृत डेटा का हवाला दिया जो सार्वजनिक डोमेन में है।
आधिकारिक बयान में कहा गया कि ”कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में सिटीग्रुप की हालिया शोध का हवाला देते हुए यह प्रकाशित किया गया कि भारत 7% की विकास दर के साथ भी पर्याप्त रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए संघर्ष करेगा। जिसमें यह भी लिखा था कि रोजगार को लेकर व्यापक और सकारात्मक डेटा की कमी की वजह से इसको लेकर ज्यादा और कह पाना मुश्किल। जबकि पीएलएफएस और भारतीय रिजर्व बैंक के केएलईएमएस डेटा जैसे आधिकारिक स्रोतों पर सारे डेटा उपलब्ध हैं। इसलिए, श्रम और रोजगार मंत्रालय ऐसी किसी भी रिपोर्ट का पूर्णतः खंडन करता है, जो सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध सभी आधिकारिक डेटा स्रोतों का विश्लेषण नहीं करते हैं।”
श्रम और रोजगार मंत्रालय ने कहा कि आरबीआई के केएलईएमएस डेटा से संकेत मिलता है कि 2017-18 से 2021-22 तक 8 करोड़ (80 मिलियन) से अधिक रोजगार के अवसर पैदा हुए, यानी प्रति वर्ष औसतन 2 करोड़ (20 मिलियन) से अधिक नौकरियां पैदा हुईं।
सितंबर 2017 से मार्च 2024 के बीच 6.2 करोड़ से अधिक लोग ईपीएफओ (कर्मचारी भविष्य निधि संगठन) में शामिल हुए और एनपीएस (राष्ट्रीय पेंशन योजना) में शामिल होने वाले नए ग्राहकों की संख्या में भी पर्याप्त वृद्धि हुई है।
मंत्रालय ने यह भी बताया कि पीएलएफएस रिपोर्ट श्रम बाजार संकेतकों में सुधार की प्रवृत्ति दर्शाती है। जिसमें से श्रम बल भागीदारी दर (एलएफपीआर), श्रमिक जनसंख्या अनुपात (डब्ल्यूपीआर) और 2017-18 से 2022-23 के दौरान 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए बेरोजगारी दर (यूआर) महत्वपूर्ण है। उदाहरण के लिए, डब्ल्यूपीआर यानी रोजगार 2017-18 में 46.8 प्रतिशत से बढ़कर 2022-23 में 56 प्रतिशत हो गया है।
इसी तरह, देश में श्रम बल की भागीदारी भी 2017-18 में 49.8 प्रतिशत थी वह बढ़कर 2022-23 में 57.9 प्रतिशत हो गई है। जबकि बेरोजगारी दर 2017-18 में 6.0 प्रतिशत से घटकर 2022-23 में 3.2 प्रतिशत के निचले स्तर पर आ गई है।
बयान में कहा गया है कि सरकार एक मजबूत और समावेशी रोजगार बाजार बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।