यूपी में एक ही दिन में लगाए जाएंगे 36.46 करोड़ पौधे, बनेगा नया रिकॉर्ड

36.46 crore trees to be planted in UP in a single day, a new record

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को अपने सरकारी आवास पर ‘पेड़ लगाओ-पेड़ बचाओ जन अभियान-2024’ की समीक्षा की। उन्होंने कहा कि ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान के अंतर्गत उत्तर प्रदेश को इस वर्ष 36.46 करोड़ से अधिक पौधे लगाने का लक्ष्य मिला है।

मुख्यमंत्री योगी ने सभी संबंधित विभागों को निर्देश दिया कि आपसी समन्वय से इस लक्ष्य को हर हाल में 20 जुलाई को पूरा करें। उन्होंने कहा कि प्रदेशव्यापी पौधरोपण महाअभियान के लिए विभागवार व जनपदवार लक्ष्य निर्धारित करते हुए कार्य किया जाए।

बैठक में उन्होंने प्रदेश सरकार के मंत्रियों व विभिन्न विभागाध्यक्षों को दिशा-निर्देश भी दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि छह वर्ष में 168 करोड़ से अधिक पौधे रोपित किए जा चुके हैं। इनमें 2017-18 में 5.72 करोड़, 2018-19 में 11.77 करोड़, 2019-20 में 22.60 करोड़, 2020-21 में 25.87 करोड़, 2021-22 में 30.53 करोड़, 2022-23 में 35.49, 2023-24 में 36.16 करोड़ पौधरोपण किए गए।

भारतीय वन सर्वेक्षण, देहरादून द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश में 1.98 प्रतिशत लाख एकड़ भूमि में हरित आवरण में वृद्धि हुई है। प्रदेश में 20 जुलाई को 36.46 करोड़ से अधिक पौधे लगाए जाएंगे। सभी मंत्री अपने प्रभार वाले जनपद में उपस्थित रहकर स्थानीय जनप्रतिनिधियों व आमजन के साथ मिलकर पौधरोपण करें। इस कार्यक्रम में नोडल अधिकारी अपनी सक्रिय भूमिका का निर्वहन करें। पर्यावरण, वन व जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा 54.20 करोड़ पौधे तैयार किए गए हैं। इन पौधों के रोपण के साथ-साथ इनकी सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जाएं। पौधरोपण स्थलों की जियो टैगिंग की जाए।

मुख्यमंत्री ने सारस की ग्रीष्मकालीन गणना-2024 की घोषणा की। उन्होंने बताया कि इस बार गणना में 19918 सारस पाए गए हैं। 2023 में यह संख्या 19522, 2022 में 19188 थी। मुख्यमंत्री ने पेड़ लगाओ- पेड़ बचाओ जनअभियान-2024 के लोगो का अनावरण भी किया। साथ ही उन्होंने वृक्षारोपण फ्लिप बुक का भी विमोचन किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पौधरोपण के लिए वन भूमि, ग्राम पंचायत, सामुदायिक भूमि, एक्सप्रेसवे-हाइवे, फोरलेन सड़क, नहर, विकास प्राधिकरणों, चिकित्सा संस्थान, शिक्षण संस्थान की भूमि के साथ नागरिकों के द्वारा निजी परिसरों का उपयोग किया जा सकता है। निजी क्षेत्रों, एनजीओ, धार्मिक-सामाजिक संस्थाओं को भी इस अभियान के साथ जोड़ा जाए।

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