पीएम आवास योजना के तहत खुली मीटिंग का आयोजन रह गया अधुरा
पूर्व प्रधान प्रत्याशी और सचिव में हुई जमकर नोक झोंक आवास के नाम पर सूची में नाम चढ़ाने के लिए वसूला गया पैसा (सूत्र)
रिपोर्ट सुरेश पांडे
गाजीपुर। मनिहारी विकासखंड अंतर्गत ग्राम सभा चकमहताब सचिवालय पर प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के तहत सर्वे के लिए पंचायत भवन पर खुली मीटिंग बुलाई गई थी जिसमें ग्राम सभा के सभी मतदाता को उपस्थित होना था लेकिन कई लोगों को कोई सूचना ही नहीं दी गई थी की ग्राम सभा में खुली मीटिंग रखी गई है। मीटिंग बुलाने का मुख्य उद्देश्य था कि सभी लोगों से जानकारी लेकर आवास के लिए पात्र लोगों का चयन किया जा सके प्रधान अखिलेश कुमार शांत व प्रमोद कुमार (सेक्रेटरी) के अगुवाई में यह कार्यक्रम रखा गया था। मालूम हो कि कुछ ऐसे मतदाता रह गए थे उनको कोई सूचना ही नहीं दी गई थी इस कार्यक्रम में पूर्व ग्राम प्रधान प्रत्याशी शशिकांत यादव , चन्द्रशेखर यादव (BDC), बृजेश कुमार (ग्राम रोजगार सेवक) समेत कई लोग मौजूद रहे। लेकिन चकमहताब ग्राम सभा हमेशा अपने कारनामों से विवादो में घिरा रहता है विवाद इस कदर फ़ैला हुआ है की कोई भी निर्णय लोगों के हित में नहीं हो पाता है बढ़ते विवाद को लेकर किसी ने अपनी बात को सही ढंग से नहीं रख पाया
*अब आप सभी लोग यही सोच रहे होंगे कि आखिर विवाद कैसा है*
मालूम हो की पंचायत भवन के प्रांगण में जब सभी लोगों के बीच बात विमर्श हो रहा था तभी पूर्व प्रधान प्रत्याशी शशिकांत यादव और सेक्रेटरी प्रमोद कुमार के बीच काफी नोक-झोंक हुई
*आप लोग सो रहे होंगे कि आखिर नोक झोंक क्यों हुई*
पिछले आवास की सूची में नाम चढ़ाने व आवास देने के नाम पर काफी वसूलियां की गई है सरकार के द्वारा सर्वे कराकर पात्र लोगों को आवास देने का आदेश दिया गया था लेकिन फिर नई सूची में नाम शामिल करने के लिए कुछ लोगों से पैसे लिया गया है कि किनको किनको आवास आवंटित करवाना है। चाहे वह पात्र हो या अपात्र क्यों ना हो इसी बात को लेकर पूर्व प्रधान प्रत्याशी शशिकांत यादव और सेक्रेटरी प्रमोद कुमार से भिड़ गए इसके बाद मौजूद ग्रामीणों ने अपनी बातों को ना कह कर घर को रवाना हो गए। सूत्रों के मुताबिक लोगों ने अपनी समस्या को लेकर सेक्रेटरी के पास पहुंचे थे आवास सड़क शौचालय नाली साफ़ सफ़ाई जैसे समस्याओं को लेकर सेक्रेटरी को बताने के लिए पहुंचे थे लेकिन निराश होकर अपने-अपने घर चले गए सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर सरकार ऐसे भ्रष्ट लोगों पर कब कार्यवाही करेगी इतना ही नहीं मिली जानकारी के मुताबिक आवास के नाम पर लोगों से काफी वसूली की गई है सरकार द्वारा नई सूची बनाने का आदेश दिया गया तो सूची में नाम चढ़ाने की एवज में भी पैसा ले लिया गया है इतना ही नहीं अगर साफ सफाई की बात करें तो सभी ग्राम वासियों को अभी तक यही नहीं पता है की कितने सफाई कर्मियों की ग्राम सभा में नियुक्ति की गई है और तो और मनरेगा में ऐसे कई मजदूर हैं जिनका बिना काम किए ही पैसा उतर जा रहा है चाहे वह कहीं भी हो इन्हीं सब बातों को लेकर विवाद हुआ जिसका कोई समाधान नहीं हो पाया