स्कूल सुरक्षा पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर प्रियंक कानूनगो ने कहा, बाल संरक्षण आयोग अपनी जिम्मेदारी का करेगा निर्वहन

On the Supreme Court's directive on school safety, Priyank Kanungo said, Child Protection Commission will discharge its responsibility

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने मंगलवार (24 सितंबर) को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को स्कूल सुरक्षा पर केंद्र के दिशा-निर्देशों को अधिसूचित करने का निर्देश दिया था। इसे लेकर बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने बुधवार को प्रतिक्रिया दी।

आईएनएस से बात करते हुए उन्होंने कहा कि स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने एक स्कूल सुरक्षा मैनुअल तैयार किया था, जो 2021-22 की सुरक्षा गाइडलाइन का ही एक पूरक है। इसके बाद भी जब ऐसी घटनाएं नहीं रुकीं, तो भारत सरकार ने अक्टूबर 2021 में एक विस्तृत जवाबदेही गाइडलाइन जारी की। इसमें निजी स्कूलों में सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक प्रक्रिया बनाई गई, उस प्रक्रिया को जवाबदेही गाइडलाइन नाम दिया गया। उस गाइडलाइन को भारत सरकार ने अक्टूबर, 2021 में सभी राज्य सरकारों को भेज दिया था। आयोग लगातार इसका पालन करता रहा है, लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि कई राज्य सरकारें उदासीन हैं। निजी स्कूलों के दबाव के कारण कई जगहों पर जिला प्रशासन के लोग ठीक से काम नहीं करते, इसका खामियाजा हमें बच्चों की जान गंवाकर चुकाना पड़ता है। मैं सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत करता हूं, आयोग को जो भी जिम्मेदारी दी गई है, वह उसका निर्वहन करेगा।

महाराष्ट्र के बदलापुर समेत कुछ स्कूलों में बच्चों के यौन उत्पीड़न की हालिया घटनाओं के मद्देनजर एक एनजीओ ने अर्जी दाखिल कर देश भर के शिक्षण संस्थानों में बच्चों की सुरक्षा पर केंद्र के दिशा-निर्देशों को लागू करने की मांग की थी। इस बारे में उन्होंने कहा कि जब तक राज्य सरकारें अपनी जिम्मेदारी नहीं समझेंगी, तो दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति बनी रहेगी। हम बच्चे खोते रहेंगे।

उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों से स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने को कहा है। कोर्ट ने कहा है कि राज्यों को इस मामले में केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए दिशा-निर्देशों का पालन करना चाहिए। कोर्ट ने यह निर्देश तब दिया जब महाराष्ट्र के बदलापुर समेत देश के कई स्कूलों में बच्चों के साथ यौन उत्पीड़न की घटनाओं का हवाला देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

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