दिल्ली-एनसीआर में पराली प्रबंधन में विफल अधिकारियों पर होगी कार्रवाई
Action will be taken against officials who fail in stubble management in Delhi-NCR
नई दिल्ली:। दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए केंद्र सरकार अभी से एक्शन में आ गई है। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने पंजाब, हरियाणा और दिल्ली के साथ राजस्थान और उत्तर प्रदेश के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में पड़ने वाले जिलों के जिलाधीशों को पराली जलाने की घटनाओं को रोकने में विफल रहने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार दिया है।
केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने शनिवार को बताया कि इन जिलों के जिलाधीश धान की पराली के प्रबंधन में विफल रहने वाले संबंधित नोडल अधिकारियों और पर्यवेक्षी अधिकारियों, तथा थानों के एसएचओ के खिलाफ मामले में क्षेत्राधिकार प्राप्त न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष शिकायत/केस दर्ज करा सकेंगे।
एनसीआर में हर साल जाड़े के मौसम में वायु प्रदूषण और धुंध की गंभीर समस्या का सामना करना पड़ता है। इसके प्रमुख कारणों में एक पड़ोसी राज्यों में धान की पराली का जलाया जाना भी है। साल 2021, 2022 और 2023 के दौरान क्षेत्र के अनुभव और सीख के आधार पर सीएक्यूएम ने इस साल के लिए अपने गाइडलाइंस में बदलाव करते हुए पराली के उचित प्रबंधन में विफल अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई के लिए जिलाधीशों को अधिकार दिए हैं।
मंत्रालय ने बताया कि 15 सितंबर से 9 अक्टूबर 2024 के बीच पंजाब में 267 और हरियाणा में 187 स्थानों पर धान की पराली जलाने की घटनाएं दर्ज की गई हैं।
सीएक्यूएम ने संबंधित जिला प्रशासनों और राज्य सरकारों को कटाई के मौसम में धान की पराली जलाने पर नियंत्रण के लिए अधिक जिम्मेदारी उठाने और निरंतर तथा सख्त निगरानी बनाए रखने का भी निर्देश दिया है।
इसके अलावा, सीएक्यूएम ने पंजाब और हरियाणा के हॉटस्पॉट जिलों में 26 केंद्रीय टीमों को तैनात किया है। क्षेत्र स्तर की कार्रवाइयों की समन्वित और निरंतर निगरानी के लिए चंडीगढ़ में एक “धान की पराली प्रबंधन सेल” की स्थापना की गई है।
दिल्ली में फिलहाल वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 150 से नीचे है जो चिंता का विषय नहीं है। हालांकि आम तौर पर दीपावली में पटाखे जलाने से प्रदूषण का स्तर अचानक बढ़ता है, खासकर तब जब मौसम में ठंडापन आ जाने से हवा भारी हो जाती है और प्रदूषक कण स्थानीय हवा में लंबे समय तक टिके रहते हैं। इस साल अक्टूबर में भी मौसम गर्म रहने से प्रदूषण का स्तर कुछ कम है।