शासकीय अस्पताल में एक वर्ष के कुपोषित ८० बच्चों के ईलाज का लेखा जोखा
Account of the treatment of 80 malnourished children in a government hospital for one year
हिंद एकता टाइम्स भिवंडी
रवि तिवारी
भिवंडी – ठाणे,पालघर जिलों के आदिवासी ईलाके में कुपोषण की समस्या लंबे समय से चली आरही है। जो आज भी चर्चा का विषय बना हुआ है। भिवंडी शहर के झोपड़पट्टी ईलाकों में भी कुपोषित बच्चों की संख्या बढ़ती तेजी से बढ़ती जा रही है। पिछले एक साल में भिवंडी के स्व. इंदिरा गांधी स्मृति उपजिला अस्पताल में ८० मध्यम कुपोषित बच्चों का इलाज किया गया। यह सभी बच्चे भिवंडी शहर क्षेत्र से संबंधित हैं। जो एक भयावह तस्वीर सामने दिखाई दे रही है।राहत की बात यह है कि कुपोषण के रूप रेखा तथा आंकलन के आधार पर कुपोषण मुख्य रूप से दो प्रकार का होता है । पहला मध्यम और दुसरा तीव्र भिवंडी में मिले सभी मामले मध्यम कुपोषण के शिकार बच्चों का ईलाज किया गया है। सरकारी अस्पताल की अधीक्षिका डॉ. माधवी पंदारे के मार्गदर्शन में, इन बच्चों का इलाज पोषण पुनर्वसन केंद्र में किया गया। इस केंद्र में १० बेड की व्यवस्था है, जहां बच्चों को १४ दिनों तक भर्ती कर उनका इलाज किया जाता है। पोषण पुनर्वसन केंद्र में बच्चों का इलाज बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. मेजबीन पटेल और डॉ. सविता वस्त्रद द्वारा किया जाता है। वहीं, आहार विशेषज्ञ डॉ. अश्विनी सूर्यवंशी बच्चों के भोजन और पोषण का विशेष ध्यान रखती हैं। १४ दिनों के उपचार के बाद बच्चों को घर भेजा जाता है और हर महीने उनके स्वास्थ्य की निगरानी की जाती है। इलाज के दौरान, बच्चों के परिवारों को आर्थिक रूप से मदद पहुंचाने के लिए दैनिक ३०० रुपये के हिसाब से १४ दिनों के कुल ४,२०० रुपये उनके बैंक खाते में जमा किए जाते हैं।भिवंडी जैसे शहर में मध्यम कुपोषित बच्चों की संख्या गंभीर समस्या को दर्शाती है।झोपड़पट्टी और गरीब इलाकों में रहने वाले परिवारों में इस मुद्दे पर जागरूकता फैलाना बेहद जरूरी है। डॉ. माधवी पंदारे ने कहा कि सही जानकारी और समय पर इलाज से इस समस्या को कम किया जा सकता है। भिवंडी शासकीय अस्पताल का यह पोषण पुनर्वसन केंद्र कुपोषण से लड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है और स्थानीय समुदाय के लिए एक बड़ा सहारा बना हुआ है।