पीएम मोदी ने हिमालय में एक ऋषि से हुई मुलाकात और जीवन में एकाग्रता के महत्व को किया साझा

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नई दिल्ली, 16 मार्च (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को जीवन की आंतरिक यात्रा में एकाग्रता के महत्व को साझा किया और बताया कि कैसे इससे उन्हें एकाग्रता बढ़ाने में मदद मिली।

लेक्स फ्रिडमैन के साथ तीन घंटे से ज्यादा के पॉडकास्ट इंटरव्यू में पीएम मोदी ने ध्यान की उस तकनीक को साझा किया, जो उन्हें एक ऋषि से मिली थी, जब वह हिमालय में थे।

उन्होंने बताया कि ऋषि ने उन्हें पत्ते से उल्टे कटोरे पर टपकते पानी पर ध्यान केंद्रित करने को कहा था, तथा पक्षियों के चहचहाने और हवा के झोंके सहित अन्य सभी ध्वनियों को अनदेखा करने को कहा था।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उनका मन पानी की बूंदों की लयबद्ध ध्वनि के साथ जुड़ गया और उन्हें गहन ध्यान में लगा दिया।

उन्होंने विस्तार से बताया कि ध्यान कोई रॉकेट साइंस नहीं है, इसका मतलब है खुद को विचलित होने से मुक्त करना और वर्तमान में मौजूद रहना।

जीवन और मृत्यु के बारे में बात करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मृत्यु पर चिंता करने की बजाय, व्यक्ति को उद्देश्यपूर्ण जीवन जीना चाहिए।

जीवन और मृत्यु के बारे में एक मंत्र का हवाला देते हुए, पीएम मोदी ने कहा: ” ‘ओम पूर्णनम अदा पूर्णनम इदं पूर्णनात् पूर्णनम उदयचते पूर्णनस्य पूर्णनमआदाय पूर्णनम एव अवशिष्यते। ओम शांति शांति।’ इसका मतलब है कि सभी जीवन एक पूर्ण चक्र का हिस्सा है, और यह मंत्र उस पूर्णता को प्राप्त करने के मार्ग पर जोर देता है।”

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हिंदू केवल अपने लिए ही प्रार्थना नहीं करते, बल्कि वे कहते हैं कि ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामया। सर्वे भद्राणि पश्यंतु, मां कश्चित् दुःखभाग् भवेत।।’ मंत्र का अर्थ है सभी के कल्याण और समृद्धि की कामना करना।

पीएम मोदी ने कहा कि इस मंत्र में सार्वभौमिक कल्याण और समृद्धि समाहित है। प्राचीन और शक्तिशाली अनुष्ठानों के महत्व पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि वे लोगों को जीवन के सार से जुड़ने में मदद करते हैं।

–आईएएनएस

एकेएस/एकेजे

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इनपुट. आईएएनएस के साथ

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