ग़ज़ल:मैं तो बेहाल हूं तुम्हारी हाल के लिए और टेलीफोन भी तरस रहा है तेरे मिस कॉल के लिए
Ghazal: I am worried about your condition and even the telephone is longing for your missed call
ग़ज़ल:मैं तो बेहाल हूं तुम्हारी हाल के लिए और टेलीफोन भी तरस रहा है तेरे मिस कॉल के लिए
सोने के बजाए रातों को जाग रहा हूं
हाथों में लेकर फोन मैन् ताक रहा हूँ
न खत कोई आई न हाल कोई आया
ना फोन कोई आया नमिस्कलाल् ही आया
फिर भी जी रहा हूं तेरे वादों के अस में
कभी तो खुदा भेजेंगे तुझे मेरे पास में
दो से सवा दो बजा और बज गया जब ढाई
तेरी याद आई आई पर
मिष्काल नहीं आयी
ढाई से पौने तीन बजा
और बज गया जब तीन
तो दिल को तसल्ली रोशन ने दिया
पढ़कर इन्नल्लाहे मा साबरीन।।
रोशन लाल पत्रकार
आजमगढ़
9452104333