छठ पूजा क्यों मनाया जाता है,परंपरा, आस्था और विज्ञान का संगम

ग़ाज़ीपुर। साल के सबसे पवित्र और कठिन व्रतों में से एक छठ पूजा का आरंभ 26अक्टूबर से शुरू हो रहा है। पूर्वी भारत, विशेषकर बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में छठ पर्व अत्यंत श्रद्धा और भक्ति भाव से मनाया जाता है।

आज यह पर्व सिर्फ क्षेत्रीय न रहकर देशभर और विदेशों में बसे भारतीयों द्वारा भी पूरी निष्ठा से मनाया जाता है। छठ पूजा सूर्य देव और छठी मैया (शष्ठी देवी) की उपासना का पर्व है। यह कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है।

यह पर्व प्राकृतिक शक्तियों, विशेषकर सूर्य से जीवनदायिनी ऊर्जा प्राप्त करने और स्वास्थ्य, समृद्धि तथा संतान सुख की कामना हेतु किया जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार रामायण काल में, श्रीराम और माता सीता ने अयोध्या लौटने के बाद कार्तिक शुक्ल षष्ठी को सूर्य देव की पूजा की थी। महाभारत काल में कुंती पुत्र कर्ण, जो सूर्य देव के पुत्र माने जाते हैं, प्रतिदिन सूर्य को अर्घ्य दिया करते थे। एक अन्य कथा के अनुसार, छठी मैया को संतान की देवी माना जाता है और निःसंतान महिलाओं द्वारा यह पूजा संतान प्राप्ति के लिए की जाती है। विज्ञान और प्रकृति से जुड़ाव से है कि छठ पूजा में सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा केवल धार्मिक नहीं, बल्कि विज्ञान से भी जुड़ी हुई है। प्रातःकाल और सायंकाल में सूर्य को जल चढ़ाना शरीर को ऊर्जा देने वाले यूवी किरणों से बचाव करता है। इस व्रत के नियम – शुद्ध आहार, उपवास, और सूर्य के प्रति आभार – स्वास्थ्य लाभ और मन-शरीर की शुद्धि भी प्रदान करते हैं।

*चार दिवसीय पर्व की प्रक्रिया,*

छठ पूजा चार दिनों तक चलती है—

1. नहाय खाय (पहला दिन): व्रती गंगा या किसी पवित्र जलाशय में स्नान करके शुद्ध शाकाहारी भोजन करते हैं

2.खरना (दूसरा दिन) दिनभर का उपवास और रात को गुड़ की खीर और रोटी से पारण

3. संध्या अर्घ्य (तीसरा दिन): अस्ताचलगामी सूर्य को जल अर्पित किया जाता है।

4. उषा अर्घ्य (चौथा दिन): अगली सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ व्रत समाप्त होता है।

समाज में एकता और स्वच्छता का संदेश छठ पूजा केवल व्यक्तिगत साधना नहीं है, यह सामूहिक श्रद्धा का प्रतीक है। लोग घाटों की सफाई, प्रदूषण रहित पूजा सामग्री और समाज के सहयोग से इस पर्व को सम्पन्न करते हैं। यह एक ऐसा पर्व है जिसमें भक्ति, पर्यावरण और सामाजिक समरसता का अनोखा संगम देखने को मिलता है।छठ पूजा भारतीय संस्कृति की उस विरासत को सजीव करती है जिसमें प्रकृति के साथ सह-अस्तित्व, आत्मसंयम और आभार की भावना निहित है। यह पर्व न केवल धार्मिक आस्था को मजबूती देता है, बल्कि एक हरित और स्वस्थ जीवनशैली का संदेश भी देता है।

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