Azamgarh News: किसान संगोष्ठी में नई तकनीकों से बढ़ेगी खेती की उत्पादकता

रिपोर्ट चन्द्रेश यादव
आजमगढ़ /अतरौलिया
ग्रामीण पुनर्निर्माण संस्थान एवं कृषि विज्ञान केंद्र (के.वी.के.) लेदौरा के संयुक्त तत्वावधान में संस्थान कार्यालय, बिलारी, विकासखंड अतरौलिया, आज़मगढ़ में एक दिवसीय किसान संगोष्ठी का सफल आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में श्री रवि शंकर राय, संयुक्त मंडलायुक्त आज़मगढ़ उपस्थित रहे। विशिष्ट अतिथियों में कृषि विज्ञान केंद्र लेदौरा के प्रभारी डॉ. एल. सी. वर्मा, कृषि वैज्ञानिक डॉ. महेंद्र प्रसाद गौतम, श्री आदित्य कुमार तथा श्री सुनील कुमार पांडेय शामिल रहे।
संगोष्ठी में अतरौलिया क्षेत्र के लगभग 20 गाँवों से आए 65 महिला एवं पुरुष किसानों ने प्रतिभाग किया। कार्यक्रम की शुरुआत संस्थान के प्रतिनिधि राजदेव चतुर्वेदी के संबोधन से हुई, जिसमें उन्होंने खेतों की घटती जोत तथा बदलती परिस्थितियों में नई कृषि तकनीकों को अपनाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि आधुनिक प्रजातियों के बीजों का प्रयोग न केवल उत्पादन बढ़ाता है बल्कि फसल की पौष्टिकता को भी बनाए रखता है।
कृषि वैज्ञानिक डॉ. महेंद्र ने गेहूं की बुवाई में सुपर सीडर तकनीक के उपयोग पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस विधि से बीज व खाद की आवश्यकता कम होती है, सिंचाई की लागत घटती है और उत्पादकता अधिक प्राप्त होती है। वैज्ञानिक आदित्य कुमार ने मत्स्य पालन की वैज्ञानिक तकनीकों पर चर्चा करते हुए ग्रामीण स्तर पर इसे आजीविका का सशक्त साधन बनाने पर जोर दिया।
कार्यक्रम के दौरान के.वी.के. प्रभारी डॉ. एल. सी. वर्मा ने किसानों को केंद्र द्वारा उपलब्ध कराई जाने वाली विभिन्न सेवाओं, प्रशिक्षण कार्यक्रमों और तकनीकी सहयोग के बारे में अवगत कराया।
मुख्य अतिथि श्री रवि शंकर राय ने कहा कि कृषि विज्ञान केंद्रों को चाहिए कि वे अपने कार्यक्षेत्र के प्रत्येक गाँव में एक महिला, एक युवा और एक किसान को तकनीकी सहयोग से जोड़े, ताकि आधुनिक कृषि जानकारी प्रभावी ढंग से प्रत्येक किसान तक पहुंच सके। उन्होंने प्रतिभागियों से अपील की कि वे संगोष्ठी में मिली जानकारी को अपनी खेती में अवश्य लागू करें, तभी कार्यक्रम की वास्तविक सार्थकता होगी।
अंत में संयुक्त मंडलायुक्त द्वारा 45 किसानों को जिंक फोर्टीफाइड गेहूं की उन्नत किस्म डीबीडब्ल्यू-303 का निःशुल्क वितरण किया गया। कार्यक्रम के साथ ही किसानों में नई तकनीकों के प्रति उत्साह और जागरूकता देखने को मिली।

