Azamgarh news:क्यों नही होगी मोदी योगी सरकार बदनाम जब सरकारी कर्मचारी अधिकारी ही करेंगे ऐसा काम

हायरे दिवाला प्रधानमंत्री आवास में घोटाला,जांच अधिकारियों ने निभाया अपना फर्ज सचिव पर होगा मुकदमा दर्ज

रिपोर्ट:रोशन लाल

बिलरियागंज/आज़मगढ़:आजमगढ़ विकास खंड तरवां के गनीपुर डगरहां गांव में प्रधानमंत्री आवास के आवंटन में घोटाला सामने आया है। तीन सदस्यीय जांच कमेटी की जांच में इसका खुलासा हुआ है। जांच में सामने आया है कि ग्राम प्रधान व सचिव के मिलीभगत से गांव के 24 से अधिक अपात्रों को धनराशि उनके खाते में भेज दी गयी है। इस मामले मेंं दोषी पाए गए सचिव अखिलेश यादव के खिलाफ एफआईआर के निर्देश भी दिए है। साथ ही सचिव व लेखाकार के खिलाफ विभागीय एवं अनुशासनिक कार्रवाई किए जाने के भी निर्देश दिए गए हैं।विकास खंड तरवां के गनीपुर डगरहां गांव निवासी राजेश कुमार सिंह ने 10 अप्रैल 2023 एवं 12 जून के अंतर्गत ग्राम पंचायत गनीपुर डगरहां में वर्ष 2022-23 में प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण के अंतर्गत अपात्र व्यक्तियों को आवास आवंटित किए जाने की शिकायत दर्ज कराई थी। मामले में मुख्य विकास अधिकारी परीक्षित खटाना ने परियोजना निदेशक डीआरडीए, जिला दिव्यांगजन सशक्तीकरण अधिकारी एवं जिला कार्यक्रम अधिकारी से जांच कराई गई। जांच के दौरान 92 आवासों के सापेक्ष समिति द्वारा रैंडमली 45 आवासों के पात्रता का किए गए स्थलीय एवं भौतिक सत्यापन में कुल 24 अपात्र व्यक्तियों को शासकीय अनुदान की धनराशि अनियमित रूप से उपलब्ध कराई गई है। जांच में यह भी सामने आया कि प्रधान के सहयोगी प्रमोद यादव, विशाल यादव, जो बैंक का सहज जन सेवा केंद्र चलाते हैं उनके द्वारा अनधिकृत रूप से गुड़िया, मदीना एवं बसंती आवास से संबंधित लाभार्थियों से कुल 45000, जिसमें प्रत्येक से 10-10 हजार बैंक ट्रांसफर के माध्यम से पांच-पांच हजार नकद धनराशि लिए जाने की भी पुष्टि हुई है। जांच जे दौरान गड़बड़ी सामने आने पर गनीपुर डगरहां के ग्राम विकास अधिकारी अखिलेश यादव के विरुद्ध संबंधित थाने में एफआईआर भी दर्ज कराने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही प्रथम डिजिटल हस्ताक्षरकर्ता व लेखाकार के रूप में समशुल एन खान के विरुद्ध भी अनुशासनिक कार्यवाही करने के निर्देश दिए हैं। उनके द्वारा पूर्व में इंदिरा आवास से आच्छादित लाभार्थियों का एमआईएस से परीक्षण न करके अपात्र व्यक्तियों के पक्ष में द्वितीय व तृतीय एमआईएस से परीक्षण न किए जाने के बाद भी धनराशि भेज दी गई है। अब देखना यह होगा कि प्रदेश की योगी सरकार ऐसे भरस्टाचार में लिप्त सचिव व सरकार को बदनाम करने वाले ग्राम प्रधान पर क्या कार्यवाही होती है।

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