आजमगढ़:डीएम ने फाइलेरियारोधी दवा खाकर अभियान की शुरुआत की

मैंने ज़िम्मेदारी निभाकर फाइलेरिया रोधी दवा का सेवन किया, अब आप भी करें” – जिलाधिकारी
– जिलाधिकारी ने फाइलेरिया से बचाव की दवा सेवन कर, किया अभियान का शुभारंभ
– लाइलाज है फाइलेरिया – बचाव ही उपाय, का दिया संदेश
– 28 फरवरी तक चलेगा ट्रिपल ड्रग थेरेपी आईडीए अभियान
– घर-घर खिलाई जा रही फाइलेरिया रोधी दवा
सुपर फास्ट टाइम्स से आफताब आलम की रिपोर्ट

आजमगढ़:जिलाधिकारी विशाल भारद्वाज ने शनिवार को सेंट्रल पब्लिक स्कूल में फाइलेरिया से बचाव की दवा (आइवर्मेक्टिन, डीईसी व एल्बेण्डाज़ोल-आईडीए) खाकर सामूहिक दवा सेवन (एमडीए) अभियान का शुभारंभ किया। फाइलेरिया उन्मूलन के लिए जनपद में 28 फरवरी तक चलने वाले इस अभियान को लेकर जिलाधिकारी ने कहा कि मैंने अपनी ज़िम्मेदारी निभाते हुए फाइलेरिया से बचाव की दवा खा ली है। अब आप सभी लोग भी फाइलेरिया रोधी दवा का सेवन कर स्वयं व अपने परिवार को इस लाइलाज बीमारी से सुरक्षित करने में सहयोग करें।
जिलाधिकारी ने जनमानस से अपील किया कि मच्छरों के काटने से होने वाली फाइलेरिया यानि हाथीपांव एक लाइलाज बीमारी है। मच्छर हम सभी को काटते हैं, इसलिए यह बीमारी किसी को भी हो सकती है । बीमारी की गंभीर स्थिति में रोगी के प्रभावित अंगों (हाथ-पैर, अंडकोष, महिलाओं के स्तन) में इतनी सूजन आ जाती है कि वह अपनी दैनिक दिनचर्या भी नहीं कर पाता। यह बीमारी न हो इसके लिए 10 फरवरी से सामूहिक दवा सेवन ट्रिपल ड्रग थेरेपी आईडीए अभियान चलाकर घर-घर लोगों को फाइलेरिया से बचाव की दवा खिलाई जाएगी।
इस मौके पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ आईएन तिवारी, अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी व कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ एके चौधरी, जिला मलेरिया अधिकारी राधेश्याम यादव समेत अन्य अधिकारियों ने भी फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन कर अन्य लोगों को दवा सेवन करने के लिए प्रेरित किया। सीएमओ डॉ आईएन तिवारी ने कहा कि 10 से 28 फरवरी तक ट्रिपल ड्रग थेरेपी आईडीए (आइवर्मेक्टिन डीईसी एल्बेण्डाजोल) अभियान चलाया जायेगा इसमें स्वास्थ्य कार्यकर्ता घर-घर जाकर लोगों को अपने सामने फाइलेरिया रोधी दवा खिलाएंगे। फाइलेरिया से बचाव का यही एक मात्र तरीका है इसलिए सभी लोग दवा जरूर खाएं तथा स्वयं और अपने पारिजनों को फाइलेरिया जैसी गंभीर बीमारी से बचाएं। उन्होंने बताया कि इस अभियान में ‘आइवर्मेक्टिन डीईसी एल्बेण्डाजोल’ तीन दवाओं की आयु के अनुसार निर्धारित खुराक खिलाई जाएगी। यह दवा दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और अति गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों को नहीं खिलाना है। शेष सभी लोगों को यह दवा खिलाई जाएगी । दवा खाली पेट नहीं खानी है और दवा की सही खुराक सभी सेवन कर लें इसलिए इसे स्वास्थ्यकर्मी के सामने ही खाना आवश्यक है।नोडल अधिकारी डॉ एके चौधरी ने कहा कि जब भी आशा कार्यकर्ता व उनकी सहयोगी दवा खिलाने जाएं तो उनका सहयोग करें। घर के सभी पात्र लाभार्थी को दवा अवश्य खिलाएं। दवा खिलाने के लिए बनाई गई प्रत्येक टीम एक दिन में 25 घर जाकर दवा खिलाएगी। उन्होंने बताया कि जनपद में लक्षित आबादी 46 लाख को आच्छादित करने के लिए कुल 4009 टीम बनाई गई हैं। इसमें दवा का सेवन कराने वाले 8018 स्वास्थ्य कर्मियों को लगाया गया है। इसके पर्यवेक्षण के लिए कुल 669 सुपरवाइज़र तैनात किए गए हैं।
इस मौके पर स्वास्थ्य विभाग के समस्त अधिकारी व स्वास्थ्यकर्मी, सहयोगी संस्था डब्ल्यूएचओ, पाथ, पीसीआई, सीफार के प्रतिनिधि मौजूद रहे।
सुरक्षित व कारगर हैं दवाएं –
जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया फाइलेरिया से बचाव की दवाएं डबल्यूएचओ द्वारा प्रमाणित हैं । यह दवाएं सुरक्षित हैं व फाइलेरिया रोग से बचाव में कारगर हैं । कुछ लोगों को फाइलेरिया से बचाव की दवा खाने के कुछ देर बाद सिरदर्द, बुखार, उल्टी, बदन में चकत्ते और खुजली जैसी प्रतिक्रियाएं देखने को मिल सकती हैं। इससे घबराना नहीं है। यह शरीर में मौजूद फाइलेरिया के सूक्ष्म परजीवी के नष्ट होने की वजह से होता है और आमतौर पर यह स्वतः ठीक हो जाता है । अगर किसी को ज्यादा दिक्कत हो तो आशा कार्यकर्ता के माध्यम से ब्लॉक रिस्पांस टीम को सूचित कर सकता है। उन्होंने बताया कि फाइलेरिया बीमारी में पैरों और हाथों में सूजन के अलावा पुरुषों के अंडकोष में व महिलाओं के स्तन में सूजन आ जाती है। यह सूजन मच्छर काटने के बाद 5 से 15 साल बाद आती है। एक बार सूजन आने के बाद इसका कोई इलाज नहीं है। इससे बचने के लिए साल में एक बार फाइलेरिया रोधी दवाएं खिलाई जाती हैं । यह दवाएं व्यक्ति के शरीर में मौजूद फाइलेरिया के सूक्ष्म परजीवियों को मार देती है और लोग इस बीमारी से सुरक्षित हो जाते हैं ।

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