मध्य प्रदेश के सीएम मोहन यादव का कोई स्वतंत्र विचार नहीं है इसीलिए लाइन पूछते फिरते हैं- राजीव यादव रिहाई मंच

 

रिपोर्ट:रोशन लाल
बिलरियागंज/आजमगढ़:मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव द्वारा बोलने से पहले लाइन पूछने के सवाल पर किसान नेता राजीव यादव ने कहा कि एक मुख्यमंत्री को दूसरे प्रदेश में आने पर अगर लाइन पूछना पड़ रहा है तो इसका साफ मतलब है कि भाजपा मौका दर मौका लाइन बदलती रहती है. बाबा साहेब अंबेडकर ने इसलिए वास्तविक प्रतिनिधित्व की बात कही थी जिसकी अपनी चेतना, अपना विचार हो. ऐसे में मोहन यादव भाजपा के मोहरे मात्र भर हैं जिनकी खुद की लाइन यानी विचार-चेतना नहीं है।मोहन यादव के आजमगढ़ के उनके पूर्वज वाले बयान पर किसान नेता ने कहा कि अगर सचमुच आजमगढ़ की मिट्टी से उनका रिश्ता है तो उन्हें तत्काल एयरपोर्ट-औद्योगिक पार्क के नाम पर खेतों-खलिहानों को बर्बाद करने वाली परियोजनाओं को वापस लेने का प्रस्ताव अपनी सरकार के समक्ष रखना चाहिए.राजीव यादव ने कहा कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव की टिप्पणी पर भाजपा के नेता सुभाष यदुवंशी ने जिस तरह से इसको यादव समाज का अपमान कहा बहुत हास्यास्पद है. मुख्यमंत्री का अगर अपमान हुआ तो यूपी के मुख्यमंत्री का बयान इस पर देखने को नहीं मिला. इससे साफ है कि भाजपाई भी इसे कोई अपमान नहीं समझते नहीं तो यादव समाज की होर्डिंग-पोस्टर की जगह भाजपा के विरोध दर्ज होते. अगर अपमान हुआ तो भाजपा के नेतृत्व पर सवाल है कि एक मुख्यमंत्री के अपमान को वे अपमान नहीं समझते क्योंकि वो पिछड़े समाज से हैं.भाजपा के नेता सुभाष यदुवंशी को भाजपा सांसद दिनेश लाल यादव निरहुआ के आजमगढ़ वालों को मनबढ़, ऊपर पहुंचा देने वाले, जेल में डाल देने वाले बयान पर बताना चाहिए कि क्या वह अपमान नहीं है. चुनाव आते ही निरहुआ उसी किसान जिसे सरकारी जमीन पर कब्जा करके बैठे हैं बोला था अब उन्हीं को रेवड़ी बाटकर कह रहे की किसान की समृद्धि से देश का विकास होगा. आजमगढ़ समेत पूरे सूबे में बुलडोजर-एनकाउंटर के नाम पर वंचितों को जो निशाने पर उनकी सरकार ली है वो अपमान नहीं. अपमान ही नहीं भाजपा राज में बहुजन समाज के अस्तित्व को खत्म किया जा रहा. सुभाष यदुवंशी होर्डिंग और अखिलेश यादव के पुतले फूकने का दावा कर रहे. सूबे समेत पूरे देश में कल की तारीख में किसान नेता जो सरकार के खिलाफ विरोध दर्ज कर रहे थे तो उन्हें कहीं गिरफ्तार तो कहीं नजर बंद किया गया तो आखिर जिस यादव समाज के लोगों के विरोध दर्ज करने की बात सुभाष कर रहे उन्होंने कैसे कर लिया।

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