दिल्ली हाईकोर्ट का आदेश, केजरीवाल सरकार वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण के लिए दायर याचिका पर करे विचार
Delhi High Court orders Kejriwal government to consider petition filed for welfare of senior citizens
नई दिल्ली, 8 जून : दिल्ली हाईकोर्ट ने केजरीवाल सरकार के मुख्य सचिव को राष्ट्रीय राजधानी में वरिष्ठ नागरिकों की कुल संख्या के बारे में डेटा जुटाने के लिए घर-घर जाकर सर्वे करने की वकालत करने वाली याचिका पर 12 हफ्ते के भीतर फैसला लेने का आदेश दिया है।
कोर्ट का यह आदेश सलेक चंद जैन की ओर से दायर जनहित याचिका (पीआईएल) के जवाब में आया है। याचिका में दिल्ली के हर जिले में एक न्यू सीनियर सिटीजन होम बनाने की भी मांग की गई।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मनमीत पीएस अरोड़ा की खंडपीठ ने मुख्य सचिव को आदेश दिया कि वे जनहित याचिका को प्रतिनिधित्व के रूप में लें।
सलेक चंद जैन की याचिका में व्यापक डेटा कलेक्शन और बुजुर्गों के लिए बेहतर सुविधाओं की जरूरत पर जोर दिया गया है। इसके अलावा कहा गया कि इस समय दिल्ली सरकार से वित्त पोषित केवल दो सीनियर सिटीजन होम हैं और दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड द्वारा प्रबंधित एक अतिरिक्त होम है।
यह याचिका वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण और संरक्षण में सुधार लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे यह सुनिश्चित होगा कि अधिकारियों की ओर से उनकी जरूरतों और सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा जाएगा।
जैन के वकील ने कहा कि वरिष्ठ नागरिकों को अक्सर अपने परिवारों से उपेक्षा और भेदभाव का सामना करना पड़ता है। इस कारण उन्हें विशेष देखभाल और ध्यान देने की जरूरत होती है।
याचिका में दिल्ली पुलिस से वरिष्ठ नागरिकों की सुरक्षा संबंधी चिंताओं को बेहतर ढंग से दूर करने के लिए उनके खिलाफ हुए अपराधों का एक अलग डाटाबेस बनाए रखने की भी अपील की गई है।
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, “यह अदालत वर्तमान रिट याचिका को जीएनसीटीडी के मुख्य सचिव के समक्ष एक अभ्यावेदन के रूप में मानने का निर्देश देती है। जिस पर कानून के अनुसार, यथासंभव शीघ्रता से, बारह (12) सप्ताह के भीतर निर्णय लेने का निर्देश दिया जाता है।”



