ईश्वर के दिए हुए तोहफे बिना किसी भेदभाव के सभी के लिए, जीशान अहमद 

सबसे बड़ा धर्म इंसानियत है और सभी धर्म मानवता का संदेश देते है, अब्दुल खालिद प्रधान

 

 

रिपोर्ट सुरेश पांडे

बहरियाबाद गाजीपुर।स्थानीय कस्बा सहित मुस्लिम बहुल गांवो में रविवार को भी जुलूस व मजलिस-ओ-मातम का सिलसिला जारी रहा। सातवीं मुहर्रम को शोहदाए कर्बला हजरते-अब्बास की याद में स्थानीय कस्बा स्थित मुन्तजिर इमाम व वजीहुल हसन के आवास स्थित चौक से दोपहर में प्रसिद्ध अलम का जुलूस रवाना हुआ, जो विभिन्न गलियों एवं बाजार होते हुए सायंकाल कर्बला पहुंचा। यहां से अकीदतमंद मिट्टी लेकर वापस आए। इस दौरान अंजुमन मुन्तजरीन-ए-मेंहदी, अंजुमन गुलामाने ख्ववाजा पेरियार, अंजुमन हाशमिया गोहना मोहम्दाबाद के लोगों ने नौहाख्वानी, सीनाजनी, तथा जंजीर का मातम किया। जुलूस में शामिल लोग या अली, या हुसैन, हक हुसैन, या अब्बास, हाए सकीना की सदाएं बुलन्द करते हुए चल रहे थे। जुलूस के साथ चल रहे अखाड़े के युवक भी या हुसैन या अब्बास की सदा लगा रहे थे। जुलूस के दौरान विभिन्न चौक व अन्य स्थानों पर नौहाख्वानी, मातम व सीनाजनी की गई। आजमगढ़ से आए मौलाना जीशान हैदर ने बहरियाबाद बाजार स्थित आफताब आलम व शमशाद अहमद के सहन में जुलूस को खेताब फरमाते हुए कहा कि ईश्वर के दिए हुए तोहफे बिना किसी भेदभाव के सभी के लिए है। सबसे बड़ा धर्म इंसानियत है और सभी धर्म मानवता का संदेश देते हैं। सभी धर्मग्रंथ मानवता का संदेश देते हैं। इमाम हुसैन ने मानव जाति के लिए कुन्बे की कुर्बानी दी थी।। हुसैन ने सारी दुनिया को बतादिया कि सर काटना इस्लाम नहीं है, बल्कि हक के लिए सर को कटाने का इस्लाम है। तत्पश्चात मसाएबे कर्बला बयान कर जुलूस आगे बढ़ाया गया। चौक पर नौजवान कमेटी के युवकों ने युद्ध कला का प्रदर्शन किया। तिरंगे के साथ किया गया प्रदर्शन काफी आकर्षक रहा। सायंकाल कर्बला से मिट्टी लेकर जुलूस वापस लौटा। तत्पश्चात उत्तर मुहल्ला के लोग कर्बला से मिट्टी लेकर वापस आए। इस अवसर पर शहंशाह, दानिश, सलीम अन्सारी, वाकिफ हसन, मोहम्मद अब्बास, कमर इकबाल, संदीप सिंह सोनू,एनामुलहक, हैदर अब्बास, निसार अहमद, अमजद हसन, अजीजुर्रहमान, दानिशवरा, शादाब, दिनेश सिंह सिन्दूर, श्यामसुंदर जायसवाल, अलीहसन, मसीहुद्दीन, नबी हसन आदि लोग शामिल रहे। थानाध्यक्ष शैलेन्द्र पाण्डेय पुलिस बल के साथ मौजूद रहे।

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