यूपीसीबी ने बिल्डर पर लगाया 5 करोड़ रुपये का जुर्माना

Contaminated water case: UPPCB imposed a fine of Rs 5 crore on the builder and Noida Authority imposed a fine of Rs 7 lakh

 

ग्रेटर नोएडा: ग्रेटर नोएडा वेस्ट की सुपरटेक इको विलेज 2 सोसाइटी में दूषित पानी पीने से सैकड़ों लोगों के बीमार होने के बाद अब इस मामले में उत्तर प्रदेश पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (यूपीपीसीबी) ने बिल्डर पर 5 करोड़ का जुर्माना लगाया है। साथ ही ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी ने भी सात लाख का जुर्माना लगाया है। इस सोसाइटी में दूषित पानी पीने की वजह से 500 से ज्यादा लोग बीमार हो गए थे। जांच में पता चला है की बिल्डर सोसाइटी में एसटीपी क्रियाशील नही है और जांच के दौरान पानी की टंकी भी साफ नही मिली थी।

ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के एसीईओ आशुतोष द्विवेदी ने बताया है कि अथॉरिटी के जल और सीवर डिपार्टमेंट की तरफ से इस पूरे मामले की जांच की गई थी और उस दौरान यह पाया गया था कि पानी की टंकियां पूरी तरीके से साफ नहीं की गई हैं। उनमें गंदगी मौजूद थी। साथ ही जांच के दौरान ये भी पता चला था कि एसटीपी प्लांट भी क्रियाशील नहीं था। जिसके बाद ईको विलेज 2 सोसाइटी पर यूपीपीसीबी ने 5 करोड़ रुपए का और ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी ने सात लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।

बीते 10 सितंबर को पानी की जांच के बाद सुपरटेक ईको विलेज 2 सोसाइटी के पानी में ई कोलाई बैक्टीरिया पाया गया था, जो पेट के लिए काफी घातक होता है और इससे व्यक्ति को बहुत सारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इस बैक्टीरिया को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी और उत्तर प्रदेश सरकार को भी अपनी रिपोर्ट भेजी थी। गौतमबुद्ध नगर के सीएमओ के मुताबिक, इस बैक्टीरिया से होने वाले नुकसान का इलाज और रोकथाम जरूर है लेकिन फिर भी सजग रहने की जरूरत है।

गौरतलब है कि बीते दिनों ग्रेटर नोएडा वेस्ट की सुपरटेक इको विलेज 2 सोसाइटी में दूषित पानी के चलते हजारों लोग बीमार हो गए थे। जिनमें से 20 का इलाज दो अलग-अलग निजी अस्पतालों में चल रहा था। जिनमें बच्चों की संख्या ज्यादा थी। सोसाइटी के अंदर स्वास्थ्य विभाग और निजी अस्पतालों का हेल्थ कैंप लगातार तीन दिनों तक लोगों का इलाज किया था। उस वक्त आरोप लगा था कि सोसायटी में पानी की टंकियों की सफाई हुई थी। सफाई के बाद से जो पानी सप्लाई की जा रही है उसे पीने के बाद से चार टावरों में रह रहे लोग बीमार पड़ गए थे। लोगों को आशंका थी कि टैंक की सफाई के दौरान अंदर गंदगी रह गई है या फिर उसे साफ करने के लिए डाले गए केमिकल की मात्रा ज्यादा होने की वजह से लोग दूषित पानी पीने से वे बीमार पड़ रहे हैं.

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