बेपर्दा मर्दों के सामने होकर जाने वाली औरतों पर जन्नत है हराम: सैयद अमीनुल कादरी
जश्ने ईद मिलादुन्नबी व इस्लाहे मआशरा में मौलाना सैयद अमीनुल कादरी ने की इस्लाही तकरीर
रिपोर्ट अशरफ संजरी
भदोही। बेपर्दा मर्दों के सामने होकर जाने वाली औरतों पर जन्नत हराम है। सूद का काम करने वाला व सूद खाने वाला अपनी मां के साथ जेना करता है। नबी के किरदार को अपनी जिंदगी में ढालो दुनिया मे भी कामियाब रहोगे और आख़ेरत में भी मिलेगी कामियाबी। उक्त बातें नगर के मेन रोड अज़ीमुल्लाह चौराहा स्थित ईदगाह में बीती रात जश्ने ईद मिलादुन्नबी व इस्लाहे मआशरा कांफ्रेंस में औलादे अली हजरत मौलाना मुफ़्ती सैयद अमीनुल कादरी ने इस्लाही तकरीर करते हुए कहा। मौलाना ने कहा अल्लाह ने जन्नत के दरवाजे पर लिखा है दय्यूस पर जन्नत हराम है यानी कि बेपर्दा होकर मर्दों के सामने जाने वाली औरतों पर जन्नत हराम है। कहा आज हमारे घरों की औरतें व बच्चियां ब्यूटी पार्लर जा रही है, गैर मुस्लिमो से मेहंदी लगवा रही हैं तो वहीं गैरो से चूड़ियां पहन रही हैं ऐसी औरतों की न तो नमाज कुबूल होगी और न ही कोई इबादत कुबूल होगी। क्या यही दीने इस्लाम का दर्स है। याद रखो बेपर्दा होकर घूमने वाली औरतें और गैरो के सामने जाने वाली बच्चियों के ऊपर जन्नत हराम है। आज बहन बेटियों को कोचिंग व कालेज के नाम पर डिग्रियां हासिल करने के लिए घर से बाहर भेजा जा रहा है वो डिग्रियां खाक में मिल जाय जो इस्लाम की डिग्री को मिटाता है। कहा हर डिग्री से बड़ी डिग्री ईमान की डिग्री है जो दुनिया मे भी काम आती है और आख़ेरत में भी काम आएगी। आज हमारे मुस्लिम में सूद का धंधा और सूद का पैसा खाना आम हो गया है। अल्लाह ने सूद खाने वालों से जंग का एलान किया है। मौलाना ने कहा मेरे नबी ने दीने हक को मशरिक से मगरिब तक और शुमाल से जुनुब तक घर-घर दीने हक को फैलाने के लिए बहोत मेहनत की है। ताएफ के मैदान में नबी के ऊपर दुश्मनों ने पत्थर बरसाए, मेरे खून से तरबतर हो गए लेकिन दीने हक को बताने और सींचने में पीछे नही हटे। मेरे नबी को अल्लाह ने दुनिया मे भेजा लोगो को सिरातल मुस्तकीम पर चलाने के लिए। दुनिया मे फैली बुराइयों को मिटाने के लिए। हम नबी की उम्मत है हमें फख्र है लेकिन आज हमारे एक भी काम नबी के बताए हुए रास्ते पर चलते हुए नजर नही आ रहे हैं। हम अल्लाह और उसके रसूल के फर्माबर्दार नही रह गए इसलिए हम चारो तरफ जलील व ख्वार होते हुए नजर आ रहे है। मौलाना ने कहा अपने घर को इस्लामी मआशरे में ढालो अपने बच्चियों को इस्लामी लिबास पहनाकर सिरातल मुस्तकीम पर चलाओ। याद रखो यह दुनिया चंद दिनों की है हमें मर कर अल्लाह के पास जाना है हम अपने रब को क्या मुंह दिखाएंगे। आज हम दूसरे की गीबत करते है, गरीबो, यतीमो, बेवाओं का रकम हजम कर रहे है। तौबा कर लो अब भी वक्त है अल्लाह माफ करने वाला गफुर्रहीम है। कहा मेरे नबी जब दुनिया मे तशरीफ़ लाए तो या रब्बे हबली उम्मती कहते हुए आये और जब दुनिया से रुखसती हुई तो या रब्बे हबली उम्मती कहते हुए रुखसत हुए और जब कब्रे अनवर से उठेंगे तो या रब्बे हबली उम्मती कहते हुए उठेंगे मेरे नबी को अपनी उम्मत से बहोत प्यार है लेकिन उम्मत है कि नबी के बताए हुए रास्तो से भटकती हुई नजर आ रही है। नमाज को पढ़ो नमाज नबी के आंख की ठंडक है नेक बनो दुनिया पुकार उठेगी देखो मोहम्मदे अरबी का मानने वाला जा रहा है। मौलाना नादिर हुसैन ने कहा अल्लाह ने मुस्तफ़ा जाने रहमत को दुनिया मे रहमत बना कर भेजा। मेरे नबी के सदके में कायनात को बनाया गया। नबी के बताए हुए रास्ते पर चल कर कामियाबी हासिल की जा सकती है। वहीं शायर जियाउर्रसुल औरंगाबादी, सैयारे कमर, जावेद आसिम, सदरे आलम ने नाते नबी पढ़ कर लोगो के दिलो को मोअत्तर कर दिया। मेम्बरे नूर पर मौलाना महफूज आलम, हाफिज व मौलाना अरफ़ात हुसैन अशरफी, हाफिज तबरेज आलम, हाफिज शहजाद, हाफिज मेराज अशरफी, हाफिज दानिश, हाफिज अब्दुल माबूद, हाफिज रहे। कांफ्रेंस की सरपरस्ती उस्तादुल हुफ्फाज काजी-ए-शहर, सदर रूअते हलाल कमेटी इमाम जामा मस्जिद कल्लन शाह तकिया अल्हाज हाफिज परवेज अच्छे मियां, जेरे सदारत हजरत अल्लामा व मौलाना फैसल अशरफी, जेरे कयादत हाफिज व कारी अशफ़ाक़ रब्बानी रहे। आगाजे कांफ्रेंस हाफिज रेहान व हाफिज शादाब ने किया। कांफ्रेंस की नेकाबत नकीबे आजमे हिंदुस्तान हाफिज व कारी आबिद हुसैन ने की। कांफ्रेंस में दूरदराज व अन्य जनपदों से आए हुए आशिकाने रसूल का काजी-ए-शहर अल्हाज हाफिज परवेज अच्छे मियां व हाफिज व कारी अशफ़ाक़ रब्बानी ने शुक्रिया अदा किया।