आजमगढ़:रमजान रहमत बरकत इनायत और अल्लाह की इबादत करने का विशेष महीना है

रिपोर्ट मोहम्मद शमीम अंसारी

अ तरौलिया/आजमगढ़ रमजान ।रहमत ,बरकत, इनायत और अल्लाह की इबादत करने का विशेष महीना है।इस से पूरी तरह वही लोग फायदा उठा पाते हैं ,जो अल्लाह की रहमत के सच्चे तलबगार होते हैं ,जो गुनाहों से बचते हैं, और नेक कामों में लगे रहते हैं. इसकी फजीलत इसके पैगाम इसके मकसद को जेहन और दिमाग में ताजा रखते हैं ,रमजान अल्लाह ताला की कीमती नेमतों में से एक है। यह इंसान को गफलतो, गुनाहों और लापरवाहीयों से अलग करके अल्लाह के साथ निस्वार्थ अपनी हकीकी बंदगी का टूटा हुआ रिश्ता सही करने की एक अनमोल दावत है, यह मुसलमानों के लिए नवैदे जांफेजां है, जिसकी रौनकों और खुशबुओं से साल भर दमकता और महकता रहता है, रमजान में एक रात ऐसी है जो हजार महीनों से बेहतर है, जो 21वीं/ 23 वीं/25वीं /27वीं/ 29 वीं/ रातों में पोशीदा है। इसके दिन में अल्लाह ने रोजा फर्जं किया ,और रात में तरावीह की नमाज ,जो इसमें नेकी का कोई एक काम करे, तो ऐसा है जैसे दूसरे महीनों में फर्जं अदा किया ,और इसमें जिसने एक फर्जं अदा किया, गोया उसने दूसरे महीनों में 70 फर्जंअदा किये, यह महीना सब्र का है ,और सब्र का बदला जन्नत है, यह हमदर्दी और गमखारी का महीना है ,और यह महीना मवासात का भी है ,इसमें मोमिन की रोजी बढ़ा दी जाती है, जो इस महीना में रोजेदार को रोजां इफ्तार कराए गा उसके गुनाहों की बख्शीश है, रमजान के महीना में रोजादार को इफ्तार कराने वाले को वैसा ही सवाब मिलेगा ,जैसा रोजादार को ,पैगंबर हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो ताला अलैहे वसल्लम से पूछा गया कि हर व्यक्ति वह चीजं नहीं पाता ,जिस से रोजा इफ्तार कराये? आपने फरमाया! यह सवाब हर उस व्यक्त को मिलेगा जो एक घोंट दूध, या एक घोंट पानी या एक गिलास लस्सी से इफ्तार कराये, और जिसने रोजदार को पेट भर खाना खिलाया, उसको अल्लाह ताला मेरे हौजें कौसर से इतना पिलायेगा की कभी प्यासा नहीं रहेगा, यहां तक की जन्नत में चला जाएगा, रमजान का पहला 10 दिन रहमत और दूसरा 10 दिन बख्शीश और आखिरी 10 दिन जहन्नम से निजात का है, इसमें जन्नत के दरवाजे खोल दिए जाते हैं ,जहन्नम के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं, सर्कश शैतानों को जंजीरों में जकड़ दिया जाता है, यह उक्त बातैं मौलाना मोहम्मद अब्दुल बारी नईमी पेश इमाम जामा मस्जिद अतरौलिया और अध्यापक मदरसा अरबिया फैजें नईमी सरैया पहाड़ी आजमगढ़ ने कहीं।

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