अगर नहीं रोका गया तो झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठ हमारे समाज के अस्तित्व को खतरे में डाल देगी:चंपई
If Bangladeshi infiltration in Jharkhand is not stopped, our society will be in danger: Champai
रांची:(झारखंड):केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से सोमवार देर रात मुलाकात करने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने सोशल मीडिया पर ‘मन की बात’ लिखी है। सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर चंपई ने लिखा है कि तिलका मांझी और सिदो-कान्हू की भूमि संथाल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठ बहुत बड़ी समस्या बन चुकी है। आदिवासियों और मूल वासियों को सामाजिक और आर्थिक रूप से नुकसान पहुंचा रहे इन घुसपैठियों को अगर रोका नहीं गया तो संथाल परगना में हमारा अस्तित्व संकट में आ जायेगा।
उन्होंने आगे लिखा, ‘ पाकुड़ और राजमहल समेत कई अन्य क्षेत्रों में उनकी संख्या आदिवासियों से ज्यादा हो गयी है। राजनीति से इतर हमें इस मुद्दे को जन आंदोलन बनाना होगा तभी हमारा अस्तित्व बच पायेगा। इस मुद्दे पर सिर्फ भाजपा ही गंभीर दिखती है, अन्य पार्टियां इस मुद्दे को वोट बैंक और अन्य कारणों से नजरअंदाज कर रही है। इसलिए आदिवासी अस्मिता और अस्तित्व को बचाने के संघर्ष में मैंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में आस्था जताते हुए भाजपा से जुड़ने का फैसला लिया है।’।उन्होंने जनता से अपील करते हुए लिखा, झारखंड के आदिवासियों-मूलवासियों, दलितों, पिछड़ों, गरीबों, मजदूरों, किसानों, महिलाओं, युवाओं और आम लोगों के मुद्दे और अधिकारों के संघर्ष वाले इस नये अध्याय में आप सभी का सहयोग अपेक्षित है।चंपई सोरेन ने इसके पहले 18 अगस्त को सोशल मीडिया पर बतौर सीएम अपने अपमान को लेकर व्यथा लिखी थी। उन्होंने लिखा, ‘पिछले हफ्ते एक पत्र द्वारा झारखंड समेत पूरे देश की जनता के सामने अपनी बात रखी थी। उसके बाद, मैं लगातार झारखंड की जनता से मिल कर, उनकी राय जानने का प्रयास करता रहा। कोल्हान क्षेत्र की जनता हर कदम पर मेरे साथ खड़ी रही, और उन्होंने ही संन्यास लेने का विकल्प नकार दिया।‘
झामुमो पर सवाल खड़ा करते हुए चंपई सोरेन ने लिखा, ‘ पार्टी में कोई ऐसा फोरम मंच नहीं था, जहां मैं अपनी पीड़ा को व्यक्त कर पाता तथा मुझसे सीनियर नेता स्वास्थ्य कारणों से राजनीति से दूर हैं।‘ बांग्लादेशी घुसपैठ की समस्या का उल्लेख करते हुए उन्होंने लिखा कि आज बाबा तिलका मांझी और सिदो-कान्हू की पावन भूमि संथाल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठ बहुत बड़ी समस्या बन चुका है। इससे ज्यादा दुर्भाग्यपूर्ण क्या हो सकता है कि जिन वीरों ने जल, जंगल व जमीन की लड़ाई में कभी विदेशी अंग्रेजों की गुलामी स्वीकार नहीं की, आज उनके वंशजों की जमीनों पर ये घुसपैठिए कब्जा कर रहे हैं। इनकी वजह से फूलो-झानो जैसी वीरांगनाओं को अपना आदर्श मानने वाली हमारी माताओं, बहनों व बेटियों की अस्मत खतरे में है।