महेश लांगा की बढ़ी मुश्किलें, जीएसटी धोखाधड़ी मामले में जमानत देने से अदालत का इनकार अहमदाबाद, 18 नवंबर (आईएएनएस)| गुजरात की एक अदालत ने जीएसटी धोखाधड़ी मामले में पत्रकार महेश लांगा को जमानत देने से इनकार कर दिया है। अदालत की तरफ से यह देखते हुए कि उनके खिलाफ लगाया गया अपराध गंभीर है और यह देश की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करता है जमानत देने से इनकार कर दिया गया। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश हेमंगकुमार गिरीशकुमार पंड्या ने कहा कि आवेदक ने धोखाधड़ी से 6,61,416 रुपये का जीएसटी क्रेडिट प्राप्त किया है, ऐसे में वह जमानत के हकदार नहीं। कोर्ट ने अपराध की गंभीरता देखते हुए अपना निर्णय सुनाया। अदालत ने लांगा की जमानत याचिका खारिज करते हुए टिप्पणी की कि, आर्थिक अपराधों का पूरे देश के विकास पर गंभीर प्रभाव पड़ता है और पिछले कुछ वर्षों में, देश में सफेदपोश अपराधों में चिंताजनक तरीके से वृद्धि देखी जा रही है, जिसने देश की आर्थिक संरचना को प्रभावित किया है। लांगा के वकील ने जमानत की याचिका लगाते हुए अदालत के सामने तर्क दिया था कि उनके मुवक्किल का किसी भी धोखाधड़ी से कोई सीधा संबंध नहीं है और न ही उनके खिलाफ कोई ठोस सबूत प्रस्तुत किए गए हैं। लेकिन, अदालत ने इन तर्कों को स्वीकार नहीं किया और जमानत याचिका को खारिज कर दिया। अदालत ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि जमानत देने का मामला अपराध की गंभीरता पर निर्भर करता है। अदालत में जमानत याचिका खारिज करते हुए यह भी उल्लेख किया कि लांगा की गिरफ्तारी और रिमांड का आदेश उचित था, क्योंकि जांच अधिकारी ने इस पूरे मामले में यह दावा किया था कि लांगा ने अपने रसूख का दुरुपयोग करते हुए फर्जी कंपनियों के साथ लेन-देन की। इसके अलावा जांच के दौरान उनके पास से 20 लाख रुपए नकद बरामद हुए थे। साथ ही उनके ऊपर 28 लाख की धोखाधड़ी के भी आरोप हैं। इससे पहले 30 अक्टूबर को, अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने पत्रकार की जमानत याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि सरकार को धोखा देने की साजिश में उनकी सक्रिय भागीदारी के प्रथम दृष्टया सबूत हैं और साथ ही रिहा होने पर सबूतों के साथ छेड़छाड़ की संभावना है। जीसएटी विभाग ने महेश लांगा को 7 अक्टूबर को गिरफ्तार किया था। केंद्रीय जीएसटी की एक शिकायत के आधार पर अहमदाबाद अपराध शाखा ने 7 अक्टूबर को उनके खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज की थी। गुजरात मैरीटाइम बोर्ड से संबंधित दस्तावेजों की कथित बरामदगी के बाद 23 अक्टूबर को गांधीनगर में उनके खिलाफ दूसरी एफआईआर दर्ज की गई थी। इस पूरे मामले में गुजरात में भावनगर, सूरत, जूनागढ़, राजकोट, अहमदाबाद आदि जिलों में कुल 19 स्थानों पर तलाशी ली गई। अहमदाबाद पुलिस ने इसको लेकर बताया कि, “अब तक, हमने 29 कंप्यूटर, 38 मोबाइल, 7 लैपटॉप और कई दस्तावेज जब्त किए हैं और उन्हें फोरेंसिक विश्लेषण के लिए भेजा है। आगे की जांच जारी है।” –आईएएनएस जीकेटी/
Mahesh Langa's increased difficulties, court's refusal to grant bail in GST fraud case
अहमदाबाद: गुजरात की एक अदालत ने जीएसटी धोखाधड़ी मामले में पत्रकार महेश लांगा को जमानत देने से इनकार कर दिया है। अदालत की तरफ से यह देखते हुए कि उनके खिलाफ लगाया गया अपराध गंभीर है और यह देश की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करता है जमानत देने से इनकार कर दिया गया।अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश हेमंगकुमार गिरीशकुमार पंड्या ने कहा कि आवेदक ने धोखाधड़ी से 6,61,416 रुपये का जीएसटी क्रेडिट प्राप्त किया है, ऐसे में वह जमानत के हकदार नहीं।कोर्ट ने अपराध की गंभीरता देखते हुए अपना निर्णय सुनाया। अदालत ने लांगा की जमानत याचिका खारिज करते हुए टिप्पणी की कि, आर्थिक अपराधों का पूरे देश के विकास पर गंभीर प्रभाव पड़ता है और पिछले कुछ वर्षों में, देश में सफेदपोश अपराधों में चिंताजनक तरीके से वृद्धि देखी जा रही है, जिसने देश की आर्थिक संरचना को प्रभावित किया है।लांगा के वकील ने जमानत की याचिका लगाते हुए अदालत के सामने तर्क दिया था कि उनके मुवक्किल का किसी भी धोखाधड़ी से कोई सीधा संबंध नहीं है और न ही उनके खिलाफ कोई ठोस सबूत प्रस्तुत किए गए हैं।लेकिन, अदालत ने इन तर्कों को स्वीकार नहीं किया और जमानत याचिका को खारिज कर दिया। अदालत ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि जमानत देने का मामला अपराध की गंभीरता पर निर्भर करता है।अदालत में जमानत याचिका खारिज करते हुए यह भी उल्लेख किया कि लांगा की गिरफ्तारी और रिमांड का आदेश उचित था, क्योंकि जांच अधिकारी ने इस पूरे मामले में यह दावा किया था कि लांगा ने अपने रसूख का दुरुपयोग करते हुए फर्जी कंपनियों के साथ लेन-देन की। इसके अलावा जांच के दौरान उनके पास से 20 लाख रुपए नकद बरामद हुए थे। साथ ही उनके ऊपर 28 लाख की धोखाधड़ी के भी आरोप हैं।इससे पहले 30 अक्टूबर को, अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने पत्रकार की जमानत याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि सरकार को धोखा देने की साजिश में उनकी सक्रिय भागीदारी के प्रथम दृष्टया सबूत हैं और साथ ही रिहा होने पर सबूतों के साथ छेड़छाड़ की संभावना है।जीसएटी विभाग ने महेश लांगा को 7 अक्टूबर को गिरफ्तार किया था। केंद्रीय जीएसटी की एक शिकायत के आधार पर अहमदाबाद अपराध शाखा ने 7 अक्टूबर को उनके खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज की थी। गुजरात मैरीटाइम बोर्ड से संबंधित दस्तावेजों की कथित बरामदगी के बाद 23 अक्टूबर को गांधीनगर में उनके खिलाफ दूसरी एफआईआर दर्ज की गई थी।इस पूरे मामले में गुजरात में भावनगर, सूरत, जूनागढ़, राजकोट, अहमदाबाद आदि जिलों में कुल 19 स्थानों पर तलाशी ली गई। अहमदाबाद पुलिस ने इसको लेकर बताया कि, “अब तक, हमने 29 कंप्यूटर, 38 मोबाइल, 7 लैपटॉप और कई दस्तावेज जब्त किए हैं और उन्हें फोरेंसिक विश्लेषण के लिए भेजा है। आगे की जांच जारी है।”