गाजीपुर:ज्ञान में जिज्ञासा की जरूरत होती हैं; जानने की प्रक्रिया ही ज्ञान हैं: श्री श्रीधर पराड़कर

रिपोर्ट: सुरेश चंद पांडे

गाजीपुर:अखिल भारतीय साहित्य परिषद् ,काशी प्रान्त एवम् सिद्धांत दर्शन विभाग बी. एच. यू. के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी ‘भारतीय एवम् आधुनिक ज्ञान परंपरा: हिंदी भाषा के परिपेक्ष्य में’ आयोजित कि गई। संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में अखिल भारतीय राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्री धर पराड़कर जी, राष्ट्रीय संयुक्त मंत्री डॉ. पवनपुत्र बादल एवम् ऋषि कुमार मिश्र राष्ट्रीय महामंत्री तथा सिद्धांत दर्शन विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. बृज कुमार द्विवेदी थे।श्री श्रीधर पराड़कर ने कहा की ज्ञान में जिज्ञासा की जरूरत होती हैं, जानने की प्रक्रिया ही ज्ञान हैं। भाषा अभिव्यक्ति का माध्यम है पढ़ाई का नहीं। प्रो. ब्रज कुमार द्विवेदी ने कहा जिसके पास भाषा नहीं है वह उसका जीवन नहीं है। आयुर्वेद संकाय प्रमुख प्रो. पी .के. गोस्वामी जी ने कहा कि जिसके पास साहित्य नहीं है वह पशु सम्मान है। प्रो. नरेंद्र नारायण सिंह जी ने साहित्य परिषद् काशी प्रान्त के बारे में विस्तार से जानकारी दी। विभागाध्यक्ष प्रो. रानी सिंह ने अतिथियों का वक्तव्य द्वारा स्वागत किया। कार्यक्रम का आरंभ कुल गीत और साहित्य परिषद् गीत एवम् साथ में मालवीय जी प्रतिमा, धनवंतरी जी की एवम् सरस्वती जी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि के साथ दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम की शुरआत की। इस अवसर पर गाजीपुर साहित्य परिषद् के पदाधिकारी दिलीप दीपक, यशवंत कुमार यश, कपिल रंजन, राकेश के साथ सभागार में बड़ी संख्या में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के विधार्थी, शोधार्थी और अध्यापक गण उपस्थित थे। कार्यक्रम का सफल संचालन काशी प्रान्त के महामंत्री एवम् हिंदी विभाग के प्रो. लहरी राम मीणा ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन डा निरंजन कुमार यादव ने किया।

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