कार्तिक पूर्णिमा के दिन क्यों मनाई जाती है देव दीवाली।
विनय मिश्र, जिला संवाददाता।
बरहज, देवरिया।
हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि बहुत उच महत्वपूर्ण मानी जाती है, इस तिथि को भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने और आशीर्वाद पाने के लिए बहुत ही उत्तम दिन माना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार कार्तिक माह की पूर्णिमा को सभी देवी देवता धरती पर आते हैं, और गंगा घाट पर देव दीपावली मनाते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था। क्योंकि त्रिपुरासुर ने तीनों लोक में आतंक मचा रखा था। इस दिन स्नान दान करने के साथ भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से शुभ लाभ और मनवांछित फलों की प्राप्ति होती है।
वैदिक पंचांग के अनुसार कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत आज 15 नवंबर सुबह 6:19 पर होगी तथा पूर्णिमा तिथि का समापन 16 नवंबर सुबह 2:58 पर होगा। ऐसे में कार्तिक पूर्णिमा आज ही के दिन 15 नवंबर को मनाई जाएगी। एक अन्य धार्मिक कथा के अनुसार कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि को भगवान शिव ने तारकासुर नामक राक्षस का वध किया था। यह भी कहा जाता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही प्रदोष काल में भगवान शिव ने अर्धनारीश्वर रूप में तारकासुर के तीनों पुत्रों का वध किया था। जिसकी खुशी में देवताओं ने शिवलोक यानी काशी में आकर देव दीपावली मनाई थी। तभी से देव दीपावली मनाने की परंपरा चली आ रही है। माना जाता है कि कार्तिक मास पूर्णिमा तिथि के दिन काशी में गंगा स्नान कर दीपदान करने से पूर्वजों को मुक्ति मिलती है। इस दिन बैकुंठ के स्वामी श्री हरि को तुलसी पत्र अर्पित किया जाता है। इसके अलावा कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही गुरु नानक देव का भी जन्म हुआ था इसलिए इस दिन गुरु नानक जयंती का भी पर्व मनाया जाता है।
सूर्य देव को अर्ध दें, भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करें, व्रत का संकल्प लें, भगवान विष्णु को सुगंधित फल, फूल,पुष्प और वस्त्र अर्पित करें। देसी गाय के घी का दीपक जलाएं, आरती करें, और भगवान विष्णु के मंत्र का जाप करें, फल मिठाई इत्यादि का भोग लगाए, इस दिन अपने कुल देवता, तथा इष्ट देवता सहित स्थान देवता, वास्तुदेवता ग्राम देवता और गांव के अन्य मुख्य देवता महापुरुष इत्यादि देवताओं की पूजा करें, तथा सायं काल गंगा घाट या मंदिरों पर दीपक जलाएं।