कटर परियोजना रिजेक्ट, खतरे में 30 हजार परिवारों के आशियाने

रिपोर्टर अजीत कुमार सिंह बिट्टू जी ब्यूरो चीफ हिंद एकता टाइम्स
उत्तरी दियरांचल के शिवाल और गोपालनगर को बचाने के लिए पिछले वर्ष अक्टूबर माह में सिंचाई विभाग की ओर से कटर परियोजना के अंतर्गत काटन रोधी कार्य करने के लिए इस्टीमेट शासन के सामने पेश किया गया था। करीब एक किमी की दूरी में 09 करोड़ 44 लाख 51 हजार की लागत से काटन रोधी कार्य होने थे लेकिन परियोजना को शासन से रिजेक्ट कर दी गई।
अब भी गोपालनगर टाड़ी में हो रहे कटान से लोग दहशत में है। गांव को बचाने के लिए रिंग बांध बनाने की जरूरत पड़ सकती है। 30 हजार परिवारों का आशियाना खतरे में है। सिंचाई विभाग के अवर अभियंता के अनुसार गोपालनगर में कटर परियोजना अंतर्गत करीब एक किमी की दूरी में 12 ×10 मीटर का 50-50 मीटर की दूरी के अंतराल में स्टोन बोल्डर से ठोकर नुमा बनना था।
बीच-बीच में पार्कोपाइन विधि से कटान रोकने का कार्य कराने की योजना थी। उक्त योजना को अक्टूबर माह में सिंचाई विभाग व शासन की बैठक में पेश करने के बाद उसे रिजेक्ट कर दिया गया। सिंचाई विभाग के विशेषज्ञों की राय है कि गोपालनगर व शिवाल में सरयू नदी में जहां कटान रोधी कार्य हो रहा था, उक्त स्थान पर सरयू नदी सी आकार बनाते हुए पीछे से काट रही थी।
ऐसे में वहां छोटी परियोजना कारगर नहीं हो सकती। शिवाल गांव व गोपाल नगर के साथ ही वशिष्ठनगर को बचाने के लिए करीब ढाई किलोमीटर लंबी परियोजना बनाकर काटन रोधी कार्य कराना पड़ेगा या फिर उक्त गांव को बचाने के लिए रिंग बांध बनाने की जरूरत पड़ सकती है। तब जाकर उक्त गांवों को बचाया जा सकता है।
गौरतलब है कि अब तक सरयू नदी ने गोपालनगर टाड़ी में 100 से अधिक लोगों के रिहायशी मकानों को निगल लिया है। शिवाल में भी दर्जनों लोगों का रिहायशी मकान कटान के जद में है। यहीं नहीं गोपालनगर पुलिस चौकी व वशिष्ठ नगर में भी सरयू की कटान आंखें तरेर रही है। ऐसे में समय रहते अगर कटान रोकने का बड़ी परियोजना नहीं लाया गया तो गोपालनगर, वशिष्ठ नगर, मानगढ़ व शिवाल गांव के 30 हजार परिवारों का आशियानों को सरयू नदी निगल सकती है।



