आजमगढ़:मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने हिट वेब से बचाव के उपाय व प्रचार प्रसार के बारे में लोगों को विस्तार से बताया

रिपोर्ट:आफताब आलम

आजमगढ़। मुख्यचिकित्साधिकारी डॉ0 आईएन तिवारी ने बताया है कि हीट वेव की स्थिति शरीर की कार्य प्रणाली पर प्रभाव डालती है, जिससे मृत्यु भी हो सकती है। इसके प्रभाव को कम करने के लिए प्रचार माध्यमों से हीट वेव/लू के सम्बन्ध में जारी की जा रही चेतावनी पर ध्यान दें। हीट स्ट्रोक, हीट रैश, हीट क्रैम्प के लक्षणों जैसे कमजोरी, चक्कर आना, सरदर्द, उबकाई, पसीना आना, मूर्छा आदि को पहचानें। यदि मूर्छा या बीमारी अनुभव करते है तो तुरन्त चिकित्सीय सलाह लें। अधिक से अधिक पानी पियें, यदि प्यास न लगी हो तब भी। यात्रा करते समय पीने का पानी अपने साथ अवश्य ले जाएं। ओआरएस घर में बने हुये पेय पदार्थ जैसे लस्सी, चावल का पानी (माड़), नीबू पानी, छाछ आदि का उपयोग करें, जिससे कि शरीर में पानी की कमी की भरपाई हो सके। जल की अधिक मात्रा वाले मौसमी फल एवं सब्जियों का प्रयोग करें यथा तरबूजा, खरबूज, संतरे, अंगूर, अन्नास, खीरा, ककड़ी, सलाद पत्ता (लेट्यूस)। शरीर को ढ़क कर रखें। हल्के रंग के पसीना शोषित करने वाले हल्के वस्त्र पहनें। धूप के चश्में, छाता, टोपी, व चप्पल का प्रयोग करें। अगर आप खुले में कार्य करते है तो सिर, चेहरा, हाथ पैरों को गीले कपड़े से ढके रहें तथा छाते का प्रयोग करें। यथासंभव अधिक से अधिक अवधि के लिए घर कार्यालय इत्यादि के अंदर रहें। उचित वायु संचरण वाले शीतल स्थानों पर रहें। सूर्य की सीधी रोशनी तथा ऊष्ण हवा को रोकने हेतु उचित प्रबंध करें। अपने घरों को ठण्डा रखें, दिन में खिड़कियां, पर्दे तथा दरवाजे बंद रखें, विशेषकर घर तथा कार्यालय के उन क्षेत्रों में जहाँ सूरज की सीधी रौशनी पड़ती हो। शाम/रात के समय घर तथा कमरों को ठण्डा करने हेतु इन्हें खोल दें। घर से बाहर होने की स्थिति में आराम करने की समयावधि तथा आवृत्ति को बढायें। पंखे, गीले कपड़ों का उपयोग करें। जानवरों को छायादार स्थानों पर रखें तथा उन्हें पर्याप्त पानी पीने को दें। निम्न उच्च जोखिम समूह सामान्य आबादी की तुलना में हीट वेव के लिए अधिक संवेदनशील होते हैं, इन समूहों के बचाव पर अधिक ध्यान दिए जाने की आवश्यकता होती हैं। ऐसे बुजुर्ग तथा बीमार व्यक्ति जो एकांतवास करते हों, के स्वास्थ्य की नियमित रूप से देखभाल नियमित रूप से देखभाल तथा समीक्षा की जानी चाहिए। घरों को ठंडा रखें, दिन के समय पर्दे, खिड़कियां, दरवाजे इत्यादि बंद रखें तथा रात को खिड़कियाँ खोलकर रखें। दिन के समय में अपने घर के निचले तल पर प्रवास का प्रयास करें। शरीर के तापमान को कम रखने के लिए पंखे, गीले कपड़े इत्यादि का प्रयोग करें।
उन्होने बताया कि अधिक गर्मी, वाले समय में, विशेषकर दोपहर 12 से 03 बजे के मध्य, सूर्य की सीधी रोशनी में जाने से बचें। नंगे पैर बाहर ना निकलें। अधिक प्रोटीन वाले खाद्य पदार्थों के प्रयोग से यथासंभव बचें तथा बासी भोजन का प्रयोग ना करें। बच्चों तथा पालतू जानवरों को खड़ी गाडियों में न छोड़े। गहरे रंग के भारी तथा तंग कपड़ें न पहनें। जब बाहर का तापमान अधिक हो, तब श्रमसाध्य कार्य न करें। अधिक गर्मी, वाले समय में खाना बनाने से बचें, रसोई वाले स्थान को ठण्डा करने के लिये दरवाजे तथा खिड़कियाँ खोल दें। शराब, चाय, काफी, कार्बोनेटेड साफ्ट ड्रिंक आदि के उपयोग करने से बचें, क्योंकि यह शरीर में निर्जलीकरण करते हैं।

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