Azamgarh :सामाजिक न्याय के अग्रणी नेता सांसद पूर्व मंत्री चंद्रजीत यादव की 95 वीं जयंती मनाकर किया गया याद 

सामाजिक न्याय के अग्रणी नेता सांसद पूर्व मंत्री चंद्रजीत यादव की 95 वीं जयंती मनाकर किया गया याद 

रिपोर्टर राकेश श्रीवास्तव

आजमगढ़। 01 जनवरी आज भारत सरकार के पूर्व मंत्री, सामाजिक न्याय के अग्रचारी नेता, और लोकतांत्रिक-वैज्ञानिक समाजवाद के अपने काल खण्ड के प्रमुख वक्ता स्मृतिशेष चन्द्रजीत यादव जी की 95वीं जयन्ती के अवसर पर एक सारगर्भित, गम्भीर व दमदार गोष्ठी का आयोजन सम्पन्न हुआ। इस वैचारिक गोष्ठी में विद्वान अधिवक्ताओं, महिलाओं, छात्रों तथा अनेक दलों के नेताओं ने विभिन्न तरीके से अपने विचार व्यक्त किए और उनके जीवन के विभिन्न पहलुओं को रेखांकित किया।
इस अवसर पर सर्वप्रथम सामाजिक न्याय एवं बाल भवन केन्द्र के निदेशक रामजनम यादव ने अपनी बात रखते हुए सभी आगन्तुको का स्वागत किया। उनकी स्थापना थी कि चन्द्रजीत यादव मानवतावादी और पूर्णरूप से विज्ञानवादी धारा के राजनीतिक व्यक्तित्व वाले व्यक्ति थे।
कार्यक्रम के संचालक और राष्ट्रीय सामाजिक न्याय आन्दोलन के जिलाध्यक्ष ने सामाजिक न्याय आरक्षण की आवश्यकता, बेरोजगारी, शिक्षा, कृषि और उत्पादन के इजारेदारी और सरमाएदारी और संविधान में धर्म निरपेक्ष और समाजवाद शब्द जोड़े जाने पर विस्तार से आधार रखा। इसके पश्चात् बहस में हिस्सा लेते हुए किसान संग्राम समिति के नेता कामरेड़ दुखहरन राम ने देश के सामने खड़ी चुनौतियों का जिक्र करते हुए कहा कि जिस तरह चन्द्रजीत यादव ने चुनौतियों को स्वीकार किया इस तरह कोई भी नेता स्वीकार करने की हिम्मत न तो दिखा सका और न भविष्य में दिखाई देता है। निधि के पैसे को उन्होने जनता का पैसा माना, जो आज नहीं है। बेगुनाहों को जेल में डालने जैसे और नफरती कार्यवाहियों पर उनकी आवाज को कोई बंद कराने की ताकत नहीं रखता।
शिब्ली मंजिल के वरिष्ठ पदाधिकारी उमैर सिद्दीकी ने चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा कि आज के नेता, नेता नहीं बना रहे और जनता को नेता की जरूरत ही नहीं लग रही है। उन्होने ईमानदारी से स्वीकार किया कि अल्पसंख्यकों की ओर से 30-35 सालों में गलतियाँ हुई हैं, ये गलतियाँ साम्प्रदायिकता के फैलते जहर से सुरक्षा के लिए हो गई।
वरिष्ठ नेता जुल्फेकार बेग ने आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा कि कुछ राजनैतिक दल और उनके नेता अपने को सबसे बड़ा हिन्दू प्रदर्शित करने की होड़ में लगे हुए हैं। इसके लिए उन्होने भाजपा और उनके नेताओं को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि केजरीवाल भी अब पुजारियों को अट्ठारह हजार रूपये प्रतिमाह मानदेय देने की पेशकश कर रहे हैं, उन्होंने यह पूछा कि यह किसका पैसा है। राजनीति में अच्छे लोगों के अभाव से राजनीति और भी खराब हो जाएगी। राजनाथ यादव ने अपनी रचना सुनाई।
अध्यक्षीय उद्बोधन में वरिष्ठ नेता चन्द्रपाल सिंह यादव ने चन्द्रजीत यादव से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला और उन्हें लोकतांत्रिक समाजवाद और सामाजिक न्याय के अग्रणी नेता के रूप में प्रस्तुत किया। उन्होने कांग्रेस से लेकर लोकदल और जनता दल तक की राजनीति और इस समय की तमाम विषम परिस्थितियों पर प्रस्तुत किए गये उत्कृष्ठ विचारों का सम्यक् रूप से विवरण प्रस्तुत किया। पूर्व प्रधानमंत्री डा0 मनमोहन सिंह के निधन पर दो मिनट का मौन रखकर शोकांजलि अर्पित करने के पश्चात उन्होने कार्यक्रम की समापन की घोषणा किया।
इस गोष्ठी में विजयानंद मौर्य एडवोकेट, रामअवध यादव कांग्रेस, रामगनेश प्रजापति, योगन्द्र यादव, कामरेड़ रामनयन यादव, किसान नेता रामआसरे यादव, सुरेन्द्र सिंह, शीला भारती, जवाहर सैनी, देवनाथ यादव, मून्नु यादव, रामचन्द्र यादव, विमला यादव एडवोकेट, संतोष यदुवंशम प्रभृति लोगों ने अपने विचार रखा।
कार्यक्रम में श्यामअवध यादव एडवोकेट, गुलाबचन्द्र चौधरी एडवोकेट, मंतराज यादव, मुख्तार अहमद, सरोज यादव एडवोकेट, अंजलि यादव, मीनू यादव, आशिनी देव यादव, अरूण मौर्य, जगदीश यादव, विजय यादव देवपार, ओमप्रकाश यादव, रमेश यादव, यादवेन्द्र यादव, मनोज बर्नवाल अध्यक्ष व्यापार मण्डल, विजय यादव पत्रकार आदि उपस्थित रहे।
सामाजिक न्याय आन्दोलन के सचिव दिनेश यादव ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए नववर्ष पर एकत्रित संघर्षशील व्यक्तियों का अभिवादन किया और चन्द्रजीत यादव के विचारों के प्रति समर्पण भाव व्यक्त किया।
कार्यक्रम को सुसज्जित और व्यवस्थित कराने में उमेश यादव, गोविन्द यादव, शुभम यादव और विनोद राम का दायित्व सराहनीय रहा।

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