मायावती के जन्मदिन पर बसपा का चुनावी आगाज बसपा से 10 सिटिंग सांसदों में कौन लड़ेगा चुनाव और कौन जाएगा अपने गांव,सांसद संगीता आजाद के चुनाव लड़ने पर बना हुआ है असमंजस
रिपोर्ट: रोशन लाल
बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने 68 साल का सफर तय कर लिया है इस बीच उन्होंने राजनीति के तमाम चढ़ाव उतार देखें हैँ।कुछ भी हो मायावती के जन्मदिन को पार्टी जन कल्याण कारी दिवस के रूप में मना रही है,इस अवसर पर बसपा युवाओं को पार्टी से जोड़ने के लिए पीएम मोदी के नमो एप की तर्ज पर बहनजी एप शुरू किया गया है।जिसे सोमवार को लांच किया गया।मायावती ने साथ ही ब्लू बुक मेरे संघर्षमय जीवन और बसपा मूवमेंट का सफरनामा भाग 19 के हिंदी और अंग्रेजी संस्करण का विमोचन किया।लोकसभा चुनाव की तैयारियों के मद्देनजर बसपा द्वारा सभी 75 जिलों में सार्वजनिक बैठकें ही नहीं बल्कि जनसभा का भी आयोजन किया गया है।मायावती के जन्मदिन पर बसपा मिशन-2024 के सियासी अभियान का आगाज किया।लेकिन साथ ही यह साफ कर दिया है कि अकेले चुनाव मैदान में उतरेंगी।बसपा किसी भी दल के साथ गठबंधन नहीं करेगी,ऐसे में सवाल यह है कि 2019 में बसपा से जीते 10 सांसदों में से कितने सांसद 2024 के चुनावी मैदान में किस्मत आजमाने उतरेंगे,बसपा के प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल ने बताया है।कि मायावती के जन्मदिन पर इस बार पार्टी प्रदेश के सभी 75 जिलों में जनसभाओं का आयोजन कर रही है. इन जनसभाओं में प्रदेश की जनता को बसपा की जनकल्याणकारी योजनाओं के बारे में जानकारी दी जायेगी,उन्होंने कहा कि पार्टी आगामी दो तीन महीनों में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए पूरी तरह से तैयार है। और अपने कार्यकर्ताओं में जोश भरने के लिए इन जनसभाओं का आयोजन कर रही है,मायावती ने सोमवार को मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि 2024 के चुनाव में अकेले उतरेंगी, आपको बता दें बहुजन समाज पार्टी ने अपने सियासी इतिहास में सबसे बुरे दौर से गुजर रही है।बसपा के तमाम बड़े नेता साथ छोड़कर चले गए हैं और पार्टी एक के बाद एक चुनाव हारती जा रही है। इसके बावजूद मायावती 2024 के लोकसभा चुनाव में अकेले अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान कर रखा है, लेकिन हाल के दिनों में बसपा के गठबंधन की चर्चा तेज है।ऐसे में मायावती ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान एक बार फिर से कहा कि 2024 में किसी भी दल के साथ चुनाव से पूर्व गठबंधन नहीं करेंगी बल्कि चुनाव नतीजे के बाद सरकार में शामिल हो सकती हैं।मायावती ने कहा कि गठबंधन के साथ चुनाव लड़ने पर साथ वाली पार्टी को ही फायदा होता है, बसपा को लाभ नहीं मिलता है। इसलिए बीएसपी अकेले चुनाव लड़ेगी,इसके लिए मायावती ने 90 के दशक में दूसरे दलों के साथ किए गठबंधन के नतीजों का उदाहरण भी दिया,बसपा के सांसद मलूक नागर कह चुके हैं कि ‘INDIA’ गठबंधन मायावती को पीएम पद का कैंडिडेट घोषित करे तो बसपा गठबंधन का हिस्सा बन सकती है।इसके अलावा कांग्रेस का एक धड़ा मायावती को गठबंधन का हिस्सा बनाने की कवायद में जुटा है,तो बसपा के कई नेता भी चाहते है कि 2024 में पार्टी गठबंधन करके चुनाव लड़ना चाहिए,ऐसे में ऐसे में सवाल यह उठता है कि मायावती के अकेले चुनाव लड़ने के फैसला पर कितने सांसद साथ में खड़े रहेंगे, क्योंकि ज्यादातर सांसद अपने लिए नई संभावना तलाश रहे हैं,आपको बता दें 2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा ने सपा और आरएलडी के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ा था।बसपा 10 सीट जीतने में कामयाब रही थी जबकि अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी को पांच सीट मिली थी।बसपा से जीते हुए ज्यादातर सांसद चाहते हैं कि मायावती 2024 में गठबंधन का हिस्सा बने,क्योंकि अकेले चुनाव लड़ना सियासी तौर पर न उनके लिए और न ही पार्टी के लिए बेहतर होगा,बसपा सांसद का एक धड़ा INDIA गठबंधन के साथ मिलने की पैरवी कर रहा है तो दूसरा धड़ा एनडीए के साथ जाने की वकालत कर रहे हैं,गठबंधन न होने की स्थिति में बसपा से जीते हुए सांसद अपने लिए नया सियासी ठिकाना भी तलाश रहे हैं,ऐसे में बसपा के टिकट पर 2019 में जीते सांसदों में से कितने 2024 में पार्टी से चुनावी मैदान में उतरेंगे?बसपा के टिकट पर जीतने वाले ज्यादातर सांसद को मायावती 2024 में रिपीट नहीं करेगी बल्कि उनके जगह नए चेहरों को मौका मिल सकता है।बसपा का सियासी ट्रेंड भी रहा है कि वो अपने मौजूदा सांसद की जगह ज्यादातर नए चेहरों को चुनाव लड़ाती है, जिसके चलते पार्टी पार्टी के सांसद दूसरी पार्टियों में अपनी संभावनाएं तलाश रहे हैं।सहारनपुर से वर्तमान सांसद हाजी फजलुर रहमान सांसद हैं,लेकिन वहां से बसपा ने माजिद अली को लोकसभा प्रभारी घोषित कर रखा है।अमरोहा से सांसद दानिश अली को पार्टी से निलंबित किया जा चुका हैं और वो राहुल गांधी के साथ भारत जोड़ो न्याय यात्रा में शामिल हो गए हैं।माना जा रहा है कि कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं।जौनपुर से सांसद श्याम सिंह यादव बीजेपी नेताओं के मेल-मिलाप कर रहे हैं। अमित शाह से लेकर नितिन गडकरी सहित कई नेताओं की तारीफ कर चुके हैं।मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात कर चुके हैं।इसके अलावा सपा प्रमुख अखिलेश यादव के संपर्क में है।बिजनौर से बसपा के सांसद मलूक नागर भी गठबंधन को लेकर बेचैन है और खुल कर कह चुके हैं कि INDIA गठबंधन मायावती को पीएम कैंडिडेट घोषित करे,गाजीपुर से अफजाल अंसारी के भी सपा के साथ संपर्क की बात कही जा रही है,अफजल अंसारी की बेटी की शादी में अखिलेश यादव और शिवपाल यादव शिरकत किए थे,जिसके बाद माना जा रहा है कि सपा का दामन थाम सकते हैं।अंबेडकर नगर से रितेश पांडेय की सपा से नजदीकी की चर्चाएं हैं,उन्होंने अखिलेश यादव से मुलाकात भी कर चुके है।रितेश पांडेय के पिता राकेश पांडेय सपा से विधायक हैं,वहीं, श्रावस्ती के सांसद राम शिरोमणि वर्मा के अपना दल और भाजपा से करीबी की चर्चा है.2024 के लोकसभा चुनाव में जिन बसपा के सांसदों को चुनाव लड़ने की संभावना है, उसमें घोसी से अतुल राय के चुनाव लड़ने की ज्यादा सबसे ज्यादा संभावना दिख रही है. इसके अलावा नगीना से सांसद गिरीश चंद्र के चुनाव लड़ने पर अभी तस्वीर साफ नहीं है, लेकिन वो सक्रिय हैं. इसके अलावा लालगंज लोकसभा सीट से बसपा सांसद संगीता आजाद के चुनाव लड़ने पर संशय बना हुआ है,संगीता आजाद और उनके पति और पूर्व विधायक आजाद अरिमर्दन बीजेपी का दामन थाम सकते हैं।पिछले साल दिल्ली में बसपा सांसद संगीता आज़ाद व पूर्व विधायक आजाद अरिमर्दन ने पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात की है जिसके बाद से चर्चाओं का बाजार गरम है, ऐसे में अब बसपा के टिकट पर 2019 में जीते सांसद क्या हाथी पर 2024 में सवारी करेंगे या फिर नई सियासी मंजिल तलाशेंगे?