Mumbai news:रेलवे की सीमा रेखा में बसी झोपड़पट्टियों को एसआरए योजना में शामिल किया जाए:मनोहर जरियाल

ब्युरो रिपोर्ट-अजय उपाध्याय
मुंबई: देश की आर्थिक राजधानी मुंबई की आबादी दिनों दिन बढ़ती जा रही है। जिसके कारण मुंबई की धमनी मानी जाने वाली लोकल ट्रेनों में यात्रियों की भारी भीड़ हो रही है। ऐसे में आगामी भविष्य को ध्यान में रखते हुए रेलवे की यात्रा को सुगम और आसान बनाने के लिए मुंबई में रेलवे की जमीनों पर बसी झोपड़पट्टियों के पुनर्वास को लागू किया जाए। ऐसा सुझाव जाने माने आर टी आई एक्टिविस्ट मनोहर जरियाल ने दिया है।
जरियाल ने रेल मंत्रालय को दिए गए सुझाव में बताया कि सर्वप्रथम रेलवे
अतिक्रमण हटाने की पहल करे और मुंबई और उसके आसपास रेलवे की जमीनों पर झुग्गियों के लिए, एसआरए जैसी एक योजना प्रणाली लागू करे। ताकि रेलवे के लिए बड़ी मात्रा में जमीन उपलब्ध हो सके। साथ ही, ऐसे निवासियों के उचित पुनर्वास के लिए, सभी प्रासंगिक प्रणालियां राज्य सरकार को भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास सहित वित्तीय भागीदारी के अनुरूप प्राथमिकता के आधार पर कार्रवाई करनी चाहिए।
बता दें कि पिछले ३० से ३५ वर्षों में बड़ी संख्या में लोग रोजी रोटी कमाने के लिए मुंबई आये हैं, वे जहां जो स्थान मिला उसीमे समायोजित हो जाते हैं।
वे जहां भी जगह पाते हैं, आश्रय की तलाश करते समय कोई अन्य विकल्प नहीं होने के कारण, वे रेल की पटरियों के किनारे खाली जगह में झोपड़पट्टी बना लेते हैं। ऐसी ही झोपड़पट्टियां मध्य, पश्चिम ओर हार्बर मार्ग पर बड़ी संख्या में हैं।मुंबई शहर में बड़े पैमाने पर सालों से पश्चिम रेलवे और मध्य रेलवे और हार्बर मार्ग की पटरियों से सटी हुई हैं।
रेलवे के माध्यम से बसे लोगों को नोटिस देने का काम भी समय समय पर किया जाता है। रेलवे आए दिन नोटिस करती है लेकिन पुनर्वास योजना के लिए कोई प्रावधान नहीं किया। ऐसे में मनोहर जरियाल की मांग है कि पहले उनके पुनर्वास की योजना बनाई जाए फिर उनके झोपड़े हटाए जाए।
जिससे की हजारों झुग्गीवासियों को न्याय मिल सके।

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