स्विट्ज़रलैंड में हिजाब पर पाबंदी: मौलाना जावेद हैदर जैदी ने उठाए गंभीर सवाल, कहा- ‘यह धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन

लखनऊ:स्विट्ज़रलैंड सरकार द्वारा सार्वजनिक स्थानों पर हिजाब पर पाबंदी लगाने के निर्णय ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय में विवाद खड़ा कर दिया है। इस मुद्दे पर प्रमुख इस्लामी विद्वान मौलाना जावेद हैदर जैदी ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है, और इसे महिलाओं के अधिकारों और धार्मिक स्वतंत्रता के लिए एक बड़ा खतरा बताया है।

मौलाना जावेद हैदर जैदी: धार्मिक और सामाजिक दृष्टिकोण

मौलाना जावेद हैदर जैदी भारतीय इस्लामी जगत के सम्मानित विचारक और धार्मिक उपदेशक हैं। उनका संबंध उत्तर प्रदेश के कस्बा ज़ैदपुर से है, और वे शिया समुदाय से जुड़े हुए हैं। मौलाना जैदी ने अपनी शिक्षा धार्मिक संस्थानों से प्राप्त की है और वे कुरान, हदीस और इस्लामी इतिहास में गहरी रुचि रखते हैं। इसके अलावा, वे समाज में बदलाव लाने और सामाजिक न्याय के मुद्दों पर भी सक्रिय रूप से काम करते हैं।

स्विट्ज़रलैंड के हिजाब प्रतिबंध पर मौलाना जैदी का बयान

स्विट्ज़रलैंड द्वारा हिजाब पर पाबंदी लगाने के फैसले पर मौलाना जैदी ने इसे महिलाओं के अधिकारों का उल्लंघन और धार्मिक स्वतंत्रता पर आघात बताया। उनका कहना है,
*”हिजाब महिलाओं की धार्मिक पहचान और गरिमा का प्रतीक है। इसे प्रतिबंधित करना उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। यह केवल मुस्लिम महिलाओं के लिए नहीं, बल्कि सभी धर्मों की महिलाओं के लिए चिंता का विषय है।”*

मौलाना जैदी का सामाजिक कार्य और योगदान

मौलाना जैदी धार्मिक शिक्षाओं के साथ-साथ सामाजिक बदलाव के लिए भी कार्यरत हैं। वे महिलाओं और बच्चों के अधिकारों के लिए अपनी आवाज उठाते रहते हैं और विभिन्न धार्मिक समुदायों के बीच भाईचारे को बढ़ावा देने के लिए भी प्रयासरत हैं।

बयान का वैश्विक प्रभाव

मौलाना जैदी का यह बयान न केवल मुस्लिम समुदाय में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी ध्यान आकर्षित कर रहा है। इस फैसले पर उनके विरोध से यह मुद्दा और भी महत्वपूर्ण हो गया है, और कई विशेषज्ञों का मानना है कि यह बयान धार्मिक स्वतंत्रता और महिलाओं के अधिकारों पर एक बड़ा संवाद शुरू कर सकता है।

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