रमजान महिना और रोजा हमें बुराईयो से दूर रखने के साथ अल्लाह के नजदीक ले जाता है

 

रिपोर्ट: अशोकश्रीवास्तव ब्यूरोप्रमुख घोसी मऊ।

घोसी। पाकरमज़ान का महिना सबसे पवित्र और नेकियो का महिना है। इस माह की आमद पर चारो तरफ खुशिया छायी जाती है। लोग खुदा की इबादत कर अपने गुनाहों से माफी मगफिरत मांग ते है। नगर की तमाम छोटी बड़ी मस्जिदों में तरावीह पढ़ी जा रही है। सेहरी व अफ्तार का मज़ा कुरान शरीफ की तिलावत , नमाज़ का वसुल रोज़े की रूहानियत लेकर आया है। रमज़ान-ए-मुबारक का नुर

इस माह में एक फ़र्ज़ अदा करने पर सत्तर के बराबर सवाब देता है। वही एक नफिल नमाज़ पर एक फ़र्ज़ का सवाब मिलता है।

उक्त बाते मो अंसारअहमद ने बताते हुए कहा कि रोज़ा भूखा रहने का नाम नही बल्कि अपने हाथ पैर , जुबान, आंख का भी रोज़ा होता है। रमज़ान इबादत और गरीबो के साथ हमदर्दी का महीना है। अल्लाह पाक ने रमज़ान के मुबारक माह में रोज़े की हालत किये गए हर काम को सवाब का जरिया बना दिया है। अल्लाह के नबी ने फरमाया है कि रमज़ान के माह में रातो में पैगाम करने को भी सवाब बना दिया गया। रमज़ान का पहला असरा यानी रमज़ान के शुरू के 10 दिन रहमत के है। दूसरा असरा मगफिरत और गुनाहों से निजात का है और तीसरा असरा जहनुम से आज़दी का है। रमज़ान के महीने मुस्लिम अपने रब को राजी करने के लिए सच्चे दिल से इबादत करता है तो अल्लाह पाक उस पर अपनी रहमत नाज़िल करते है तथा उनके गुनाहों को माफ कर देते है।

मो अंसार अहमद खान।

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