ग्रामीण पुनर्निर्माण संस्थान द्वारा जलवायु संकट और प्लास्टिक प्रदूषण पर परिचर्चा
Discussion on climate crisis and plastic pollution by Rural Reconstruction Institute
रिपोर्ट:चन्द्रेश यादव
आजमगढ़ (अतरौलिया) ग्रामीण पुनर्निर्माण संस्थान द्वारा संचालित ग्रामीण महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम के अंतर्गत ब्लॉक सभागार अतरौलिया में विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संस्था द्वारा आयोजित कार्यक्रम “प्लास्टिक प्रदूषण और जलवायु संकट को कम करने में ग्राम पंचायतों की भूमिका” विषय पर केंद्रित रहा और इसमें पर्यावरणीय सरोकारों को लेकर गंभीर चिंतन और संवाद हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि खंड विकास अधिकारी संतोष कुमार थे, जबकि विशिष्ट अतिथियों में डॉ. शिवाजी सिंह (अधीक्षक), डॉ. अमरजीत यादव (सीएचसी अतरौलिया), देवी प्रसाद पांडेय, जय प्रकाश यादव (ग्राम प्रधान प्रतिनिधि), और चौथीराम (ग्राम प्रधान खानपुर रना) शामिल थे। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राजदेव चतुर्वेदी ने इस बात पर जोर दिया कि जलवायु परिवर्तन के प्रभाव अब सिर्फ वैज्ञानिक चर्चा तक सीमित नहीं हैं। अब ये गांव-गली और खेत-खलिहानों तक महसूस किए जा रहे हैं। हर साल बढ़ते तापमान, लू की तीव्रता और जल संकट ने ग्रामीण जीवन को प्रभावित किया है। हीट वेव की मार सबसे अधिक उन लोगों पर पड़ रही है जो समाज के सबसे कमजोर तबकों से आते हैं – जैसे कि ईंट भट्ठों में काम करने वाले मजदूर, ठेला चलाने वाले श्रमिक, सफाई कर्मचारी और घरेलू महिलाएं। डॉ. अमरजीत ने बताया कि स्थानीय स्तर पर जलवायु अनुकूलन और शमन के लिए योजना बनाकर, सामुदायिक भागीदारी सुनिश्चित करके और जलवायु लचीलापन बढ़ाकर, पंचायती राज संस्थान (पीआरआई) जलवायु परिवर्तन के नकारात्मक प्रभावों को कम करने और एक अधिक टिकाऊ भविष्य बनाने में मदद कर सकते हैं। डॉ. शिवाजी सिंह ने कहा कि जलवायु संकट का मुकाबला केवल बड़े शहरों और सरकारों की जिम्मेदारी नहीं है। गांवों की ग्राम पंचायतें यदि चाहें तो स्थानीय स्तर पर योजना बनाकर सामुदायिक भागीदारी को मजबूत करके और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के प्रयासों के माध्यम से एक निर्णायक बदलाव ला सकती हैं। खंड विकास अधिकारी संतोष कुमार ने अपने विचार साझा करते हुए कहा कि ग्राम पंचायतें यदि जलवायु संकट और प्लास्टिक प्रदूषण के खिलाफ ठोस कदम उठाएं, तो न सिर्फ पर्यावरण की रक्षा की जा सकती है, बल्कि अगली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित भविष्य की नींव भी रखी जा सकती है। उन्होंने कहा कि ग्राम पंचायतों को अपनी सुविधाओं का सदुपयोग करना चाहिए और दुरुपयोग से बचना चाहिए। कार्यक्रम में यह निर्णय लिया गया कि हर ग्राम पंचायत अपने स्तर पर प्लास्टिक के प्रयोग को घटाने, वर्षा जल संचयन को बढ़ाने, वृक्षारोपण को प्रोत्साहित करने और स्थानीय समुदाय को जलवायु अनुकूल जीवनशैली के लिए तैयार करने का कार्य प्रारंभ करेगी। इस अवसर पर खंड विकास अधिकारी संतोष कुमार द्वारा 22 महिलाओं को पौधे वितरित किए गए।