इरशाद कामिल: जिनके लिखे गीत गाते हैं जिंदगी का एहसास, इश्क वालों के लिए वरदान है उनके लफ्ज
Irshad Kamil: Jinke likhe geet karate hain zindagi ka ehsaas, ishq walon liye vardan hai unke lafz
नई दिल्ली: “लफ्ज के चेहरे नहीं होते, लफ्ज सिर्फ एहसास होता है”, अगर इन एहसासों को शब्दों में पिरो दिया जाए तो बनती है एक रचना, इन्हें जो भी सुने या पढ़े वो इसका कायल हो जाए। ऐसी ही महारत इस मॉर्डन युग में हासिल है इरशाद कामिल को। जिनकी कलम से एक दो नहीं बल्कि सैकड़ों ऐसे गीत निकले, जो आपको इन्हीं एहसासों से रूबरू कराती हैं।फिल्म तमाशा का “अगर तुम साथ हो”, लव आज कल का “आज दिन चढ़या”, जब वी मेट का “ये इश्क हाए, बैठे बिठाए”, रॉकस्टार का “शहर में, हूं मैं तेरे”, सुल्तान का “जग घूमेया थारे जैसा ना कोई”, हॉलीडे का “नैना अश्क ना हो”, रांझना का “रांझना हुआ मैं तेरा”…. ये वो गीत हैं, जिन्हें आप सुनेंगे तो सिर्फ सुकून का एहसास होगा। ये जादूगरी सिर्फ इरशाद कामिल ही कर सकते हैं।
इरशाद इतना कमाल लिखते हैं कि लिखने और पढ़ने वालों को भी उनसे रश्क हो जाए। जब वी मेट हो या फिर रॉकस्टार। इन फिल्मों के गाने जब रिलीज हुए तो लोगों के जुबान पर सिर्फ इरशाद के लिखे गीत ही गुनगुनाए जा रहे थे। वह अपने गीतों में एहसासों की गहराई में उतरकर शब्दों के मोती खोज लाते हैं।5 सितंबर 1971 को जन्में इरशाद कामिल ने हिंदी सिनेमा को कई बेहतरीन गाने दिए हैं। इरशाद ने अपने करियर की शुरुआत टीवी शो के टाइटल ट्रैक लिखने से की। कामिल को बड़ा ब्रेक मिला पंकज कपूर के टीवी शो से, जिसका उन्होंने टाइटल ट्रैक लिखा था। इस शो के बाद इरशाद कामिल की जिंदगी बदल गई और फिर उन्हें मिली बॉलीवुड में एंट्री। “चमेली” कामिल की पहली हिंदी फिल्म थी, जिसके गीतों को काफी पसंद किया गया। इसके बाद तो बॉलीवुड में हर कोई उनके साथ काम करना चाहता था।इरशाद कामिल ने “चमेली” के बाद “जब वी मेट”, “लव आज कल”, “रॉकस्टार” और “आशिकी 2”, “रांझणा”, “तमाशा”, “सुल्तान”, समेत कई फिल्मों के लिए गीत लिखे। उन्हें फिल्म रॉकस्टार के लिए “फिल्म फेयर” अवार्ड से भी नवाजा गया। उनके लिखे गानों में रोमांस से लेकर देशभक्ति और फिलॉसफी की झलक साफ दिखाई देती है।इरशाद सिर्फ गीतकार ही नहीं बल्कि साहित्यकार और शायर भी हैं। हिंदी और उर्दू में पीएचडी करने वाले इरशाद कामिल ने कई नज्में भी लिखीं। “चराग” नाम की नज्म में वह लिखते हैं, “न दोस्ती न दुश्मनी, मेरा काम तो है रौशनी, मैं रास्ते का चराग हूं, कहो सर-फिरी हवाओं से, न चलें ठुमक-अदाओं से, कभी फिर करूंगा मोहब्बतें”।इरशाद कामिल के गीतों का एहसास ही कुछ अलग है। ऐसा लगता है कि मानो वो हमारी और आपकी जिंदगी की ही बात कर रहे हों। इरशाद कामिल के फिल्मफेयर के अलावा आईफा, जी सिने और मिर्ची म्यूजिक जैसे कई अवॉर्ड्स से सम्मानित किया गया है।