अज़ीमुल्लाह चौराहे वाली मस्जिद में मौलाना हाफ़िज़ अरफात हुसैन ने मुकम्मल की तरावीह
क़ुरआन को पढ़ो और समझो यही है हुक्मे रब्बे कायनात: मौलाना हाफिज अरफ़ात हुसैन
रिपोर्ट अशरफ संजरी
भदोही। रमज़ान शरीफ के पहले अशरे की 9 वीं रमजान की शब नगर के अज़ीमुल्लाह चौराहा वाली मस्जिद में मौलाना हाफिज अरफात हुसैन अशरफी ने तरावीह मुकम्मल कि। तरावीह मुकम्मल होते ही हाफ़िज़ साहब ने बारगाहे परवरदिगार में आलमे इस्लाम के लिए दुआ कि और अपने रब से कहा ऐ मेरे पालनहार दुनिया में जो परिशान है उनकी परेशानियो को दूर कर दे। जो रोज़ी से परेशान है उन्हें रिज़्के हलाल अता कर जो नमाज़ नहीं पढ़ते उन्हें नमाज़ पढ़ने कि तौफ़ीक़ अता फरमा, जो लोग मजहबे इस्लाम के क़वानीन से वाबस्ता नहीं है तू अपने करम से उन्हें वाबस्तगी अता कर या रसूलल्लाह उन्ज़ुर हालना या रसूलल्लाह इस्मा कालना हम गुनाहो में डूबे हुए है हम सियाकार है बदकार है लेकिन तेरे महबूब स.के उम्मत में है हमारी खताओं को बख्श दे। ऐ अल्लाह हम गुनाहगार तेरे सामने खड़े है हम तुझ से ही मदद मांगते है। रहम कर करम कर मेरे मौला। लोगो ने अपने परवरदिगार से नम आँखो के साथ रो-रो कर दुआएं कि। इस मौके पर हाफिज अरफ़ात हुसैन ने लोगो से खेताब करते हुए कहा जिस हाफ़िज़े क़ुरआन के सीने में मुकम्मल क़ुरआन जज़्ब है समझो वो बहुत ही खुशनसीब है। कहा ये अल्लाह कि बहुत ही बड़ी नेअमत है। कहा क़ुरआन हमें ज़िन्दगी जीने का सलीक़ा सिखाता है क़ुरआन को पढ़ने वाला और सुनने वाला अल्लाह के नज़दीक मोतबर हुआ करता है इसलिए अपने बच्चों को क़ुरआन के तालीमात से रोशनास करो ज़िन्दगी संवरती हुई नज़र आएगी। कहा कुरआन सरापा मोजज़ा है। कुरआन को पढ़ो और समझो यही है हुक्मे रब्बे कायनात। वहीं उस्तादुल हुफ़्फ़ाज हाफिज अशफ़ाक़ रब्बानी ने कहा नमाजे तरावीह सुन्नते मुकेदा है जिसे पढ़ना सुन्नत पे अमल करना होता है और रमजान के महीने में हर लफ्ज और इबादत का सवाब 70 गुना बढ़ा दी जाती है। कहा पूरा महीना इबादतों और कुरान की तिलावत में गुजारें और अपने रब की कुर्ब को हासिल करें। हाफिज अरफ़ात ने अपने उस्ताद हाफिज अशफ़ाक़ रब्बानी के गले मिल कर दुआएं हासिल की तो वहीं उस्तादे मोहतरम ने उन्हें दुआओं से नवाजा। इस पुर फेज़ा मंज़र मे वरिष्ठ कालीन निर्यातक बाबू कमरुद्दीन अंसारी, गुड्डू बाबू अंसारी, राशिद कमर अंसारी, सभासद हसीब खां, दानिश सिद्दीकी रूमी, सैयाज़ अंसारी, हफीज अंसारी, राशिद मलिक, इद्रीस खां, पत्रकार शहनवाज खां, मिस्बाह खां, बदरे आलम, इश्तियाक उर्फ छेदी सर्राफा, मजहर अंसारी, मुख्तार अहमद, अशफ़ाक़ अंसारी, नफीस डायर, अनीस डायर, शीश खां, हसनैन अंसारी, कमाल खां, अबरार अहमद, अरशद अंसारी, सहित लोगो ने हाफ़िज़ साहब को फूल माला पहनाते हुए गले लगा कर मुबारकबाद दी। वालीदे मोहतरम पत्रकार आफताब अंसारी चचा महताब अंसारी, इश्तियाक अंसारी, इम्तियाज़ अंसारी, इरशाद अंसारी, नूर मोहम्मद अंसारी ने गले लगा कर दुआओं से नवाजते हुए मुबारकबाद दी। तो वहीँ हाफ़िज़ अरफात हुसैन घर पे दादी जान व अपनी अम्मी जान तथा चाची जान से मिले जहां बारगाहे परवरदिगार में दादी व अहले खाना ने अपने पोते व बच्चों के हक़ में दुआ-ए-खैर कि।